भूमि ने इस बात पर जोर दिया है कि बेस्ट एक्टर मेल को अलग अवॉर्ड और फीमेल को अलग अवॉर्ड देने के बजाय जिसकी एक्टिंग सबसे पावरफुल हो उसे बेस्ट लीड परफॉर्मेंस अवॉर्ड मिलना चाहिए.
भूमि पेडेंकर
भूमि पेडनेकर भारत की पहली प्रमुख अभिनेत्री हैं जिन्होंने आने वाले दिनों में पुरस्कार समारोहों को लिंग-तटस्थ बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया है। इसके पीछे उनका तर्क यह है कि आज पूरी दुनिया में अवॉर्ड सेरेमनी में ऐसा ही हो रहा है। यानी बेस्ट एक्टर मेल को अलग अवॉर्ड और फीमेल को अलग अवॉर्ड देने के बजाय, जिसकी एक्टिंग सबसे दमदार है, उसे बेस्ट लीड परफॉर्मेंस का अवॉर्ड मिलना चाहिए.
विश्वव्यापी प्रवृत्ति
हाल ही में बर्लिन फिल्म फेस्टिवल के दौरान मैरेन एगर्ट को पहली बार जेंडर-न्यूट्रल एक्टिंग अवॉर्ड से नवाजा गया है. नए पुरस्कार का अर्थ यह है कि अब पुरुष और महिला दोनों अभिनेताओं को एक ही श्रेणी में बेहतर प्रदर्शन के आधार पर पुरस्कार दिए जा रहे हैं, अलग-अलग नहीं। गोथम अवार्ड्स ने घोषणा की कि इस साल नवंबर में शुरू होने वाले समारोह में उनके सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के पुरस्कारों को लीड-परफॉर्मेंस श्रेणी में जोड़ा जाएगा।
एमी अवार्ड्स द्वारा यह घोषणा की गई है कि 2021 से अभिनय के लिए दी जाने वाली ट्रॉफी में अभिनेता या अभिनेत्री की जगह परफॉर्मर शब्द का इस्तेमाल किया जाएगा, जो कि लिंग-तटस्थ है। भले ही वे पुरस्कार विभिन्न लिंग प्रतिस्पर्धा से संबंधित हों। बर्लिन फेस्टिवल की तर्ज पर वेनिस फिल्म फेस्टिवल भी जेंडर न्यूट्रल अवॉर्ड्स की तैयारी कर रहा है।
बदलती विचारधारा
भूमि का कहना है कि पिछले एक साल में यह देखकर बहुत अच्छा लगा है कि सभी पुरस्कार समारोहों में लिंग आधारित पुरस्कारों को धीरे-धीरे समाप्त किया जा रहा है। हमारे नजरिये से भी अगर फिल्मों में महिलाओं और अन्य जेंडर के लिए वही दमदार रोल लिखे जाएं तो आज नहीं तो कल हम भी जेंडर न्यूट्रल अवॉर्ड्स तक पहुंच सकते हैं!
लिंग का चश्मा उतारो
वह आगे कहती हैं कि एक कलाकार को उसके काम से पहचाना जाना चाहिए और किसी विशेष लिंग के लेंस के माध्यम से नहीं देखा जाना चाहिए। मुझे लगता है कि हम सभी कलाकार हैं और हम समानता लाने के लिए अपनी ओर से कुछ कर सकते हैं।
भूमि का मानना है कि सभी कलाकारों को कलाकार कहना सही दिशा में उठाया गया कदम है। वह कहती हैं, हम सभी जानते हैं कि हम एक गैर-बाइनरी दुनिया में रहते हैं और मुझे लगता है कि इस तरह के कदम से एकजुटता को बढ़ावा मिलेगा। सभी जेंडर के लोगों को एक नजरिए से देखने की दिशा में यह एक बेहतरीन कदम होगा। अब समय है कि जेंडर के बीच की इस बाधा को तोड़ दिया जाए और जेंडर के चश्मे से अभिनेताओं को देखे बिना उनके कौशल और क्षमताओं के आधार पर प्रदर्शन का आनंद लिया जाए।”