19 नवंबर को, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की घोषणा की। इसके साथ ही उन्होंने महीनों से आंदोलन कर रहे किसानों से भी घर लौटने की अपील की थी.
दिल्ली में चल रही कैबिनेट की बैठक
दिल्ली में नरेंद्र मोदी सरकार के कैबिनेट की बैठक चल रही है. दिल्ली में 7 लोक कल्याण मार्ग पर चल रही कैबिनेट बैठक में कृषि कानूनों को निरस्त करने को मंजूरी दी जा सकती है. 19 नवंबर को, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की घोषणा की। इसके साथ ही उन्होंने महीनों से आंदोलन कर रहे किसानों से भी घर लौटने की अपील की थी.
केंद्रीय मंत्रिमंडल की इस बैठक में कृषि अधिनियम को वापस लेने के प्रस्ताव को मंजूरी देने के साथ ही क्रिप्टोकरेंसी समेत कई और मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है. माना जा रहा है कि मोदी सरकार संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में क्रिप्टोकरेंसी पर बिल पेश कर सकती है. हालांकि इस बिल में क्या होगा, यह कहना जल्दबाजी होगी। लेकिन सरकार इस पर रोक लगाने के मूड में नहीं है, बेशक इसे सख्त नियमों के तहत लाने की कोशिश की जाएगी.
अपनी मांगों पर अड़े किसान
इधर, किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि अगर सरकार ने घोषणा की है तो वे प्रस्ताव ला सकते हैं लेकिन एमएसपी और 700 किसानों की मौत भी हमारा मुद्दा है. इस पर भी सरकार को बात करनी चाहिए। अगर सरकार 26 जनवरी से पहले मान जाती है तो हम चले जाएंगे। चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद ही हम चुनाव के बारे में बताएंगे।
दरअसल, केंद्र द्वारा तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा के बाद अब किसान संगठन केंद्र सरकार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गैरंटी वाला कानून लाने का दबाव बना रहे हैं. किसान संगठनों के अलावा कांग्रेस और वामपंथी दलों समेत तमाम विपक्षी दलों ने भी एमएसपी कानून कीगैरंटी मांग पर सहमति जताई है कि एमएसपी की गैरंटी के लिए कानून बनाया जाए.
किसान संगठनों ने भी संसद तक ट्रैक्टर मार्च निकालने का ऐलान करते हुए कहा है कि उनकी मांगों को मान लिया जाएगा और सरकार से बातचीत की जाएगी. किसान नेता सुदेश गोयत ने कहा, ‘हमने तय किया है कि जब तक संसद में इन कानूनों को औपचारिक रूप से वापस नहीं लिया जाता, हम यह जगह नहीं छोड़ेंगे। आंदोलन के एक साल पूरे होने के मौके पर 26 नवंबर को भी किसानों का दिल्ली की सीमा पर आना जारी रहेगा.