अपर मुख्य सचिव ने यह भी बताया कि इस मामले में नई व्यवस्था के अनुसार पंजीकरण पोर्टल में आवश्यक परिवर्तन किये जायेंगे. इस साल 15 दिसंबर से पहले काम पूरा करना है। सभी अस्पतालों को निर्धारित मानकों के अनुसार 31 मार्च से पहले अपना पंजीकरण करवाना होगा।
उत्तर प्रदेश में अब नए साल के पहले महीने यानी जनवरी से चिकित्सा व्यवस्था में बड़े बदलाव होने जा रहे हैं. सभी अस्पतालों के रजिस्ट्रेशन मानक बदलेंगे। इसके साथ ही अस्पताल संचालकों को सेंटर फॉर द क्लिनिकल एस्टैब्लिशमेंट (रजिस्ट्रेशन एंड रेगुलेशन) एक्ट 2010 द्वारा निर्धारित सभी मानकों का भी पालन करना होगा। अहम बात यह है कि पालन नहीं करने वालों और स्वास्थ्य करने वालों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
इस नए बदलाव से अस्पतालों में निचले स्तर की सेटिंग भी काम नहीं करेगी। यह निर्देश चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद ने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के महा निदेशक समेत डीएम और सीएमओ को दिए हैं. आपको बता दें कि अब तक जिलों के अस्पतालों का रजिस्ट्रेशन सीएमओ के स्तर पर होता था. लेकिन अब यह डीएम की अध्यक्षता में जिला पंजीकरण प्राधिकरण द्वारा किया जाएगा।
31 मार्च 2022 से पहले करना होगा अस्पतालों का रजिस्ट्रेशन
राज्य स्तर पर राज्य नैदानिक स्थापना परिषद होगी, जो अपील मामलों की सुनवाई करेगी। अतिरिक्त मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद के मुताबिक, अस्पतालों के पंजीकरण की मौजूदा व्यवस्था इस साल 31 दिसंबर के बाद लागू नहीं होगी. मौजूदा व्यवस्था के तहत पंजीकृत सभी अस्पतालों के पंजीकरण की वैधता वित्तीय वर्ष में 31 मार्च 2022 को स्वत: समाप्त हो जाएगी। ऐसे सभी अस्पतालों को ‘द क्लिनिकल एस्टैब्लिशमेंट (रजिस्ट्रेशन एंड रेगुलेशन) एक्ट 2010’ द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार 31 मार्च से पहले अपना पंजीकरण कराना होगा।
रजिस्ट्रेशन पोर्टल में जल्द किया जाएगा सुधार
अपर मुख्य सचिव ने यह भी बताया कि इस मामले में भी नई व्यवस्था के अनुसार पंजीकरण पोर्टल में आवश्यक परिवर्तन किये जायेंगे. इस साल 15 दिसंबर से पहले काम पूरा करना है। जिसके बाद पोर्टल पर आवेदन की सुविधा उपलब्ध करा दी जाएगी। साथ ही सभी सीएमओ और डेप्युटी सीएमओ को ट्रेनिंग भी दी जाएगी.
पहले चरण में 30 बेड से कम बेड वाले अस्पतालों के लिए नियमों में छूट
इस नई व्यवस्था में सभी अस्पतालों को रजिस्ट्रेशन कराना होगा, लेकिन अब 30 बेड या इससे ऊपर के सभी मानक अस्पतालों को पूरा करना होगा। कम बेड वालों के लिए फिलहाल नियमों में कुछ ढील दी जाएगी। उनका पंजीकरण जनशक्ति, अग्निशमन एवं जैव चिकित्सा अपशिष्ट अधिनियम से संबंधित मानकों को पूरा करने पर किया जाएगा।