गर्भावस्था के दौरान सिरदर्द भी जटिलताएं पैदा कर सकता है, इसलिए इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। इसके बारे में विशेषज्ञ को बताया जाना चाहिए। यहां जानिए सिरदर्द के संभावित कारणों और उपचार के बारे में।
गर्भावस्था
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। सिरदर्द भी उन्हीं में से एक है। आमतौर पर सिरदर्द की समस्या पहली या दूसरी तिमाही में शुरू हो जाती है। जिन महिलाओं को पहले से साइनस की समस्या है, या जिन्हें माइग्रेन की समस्या है, उन्हें गर्भावस्था के दौरान सिरदर्द होने का खतरा अधिक होता है।
वैसे सिरदर्द एक आम समस्या है, जो सामान्य दिनों में भी होती है। लेकिन गर्भावस्था के दौरान सिरदर्द की समस्या भी जटिलताएं पैदा कर सकती है, जैसा कि प्रीक्लेम्पसिया के कारण भी हो सकता है। इसलिए डॉक्टर को इसके बारे में बताना चाहिए। यहां जानिए सिरदर्द के संभावित कारणों और इसे कैसे ठीक किया जा सकता है।
ये कारण हैं
गर्भावस्था की पहली तिमाही में महिलाओं को उल्टी, जी मिचलाने की समस्या होती है। ऐसे में उनके शरीर में पानी की कमी हो जाती है। इससे सिरदर्द की समस्या हो सकती है।
अगर रात में नींद पूरी न हो तो सिर दर्द की समस्या हो सकती है। इसके अलावा लंबे समय तक लैपटॉप या मोबाइल पर रहने के कारण भी यह समस्या हो सकती है।
गर्भावस्था में अस्वास्थ्यकर आहार के कारण कई बार सिरदर्द हो सकता है। इसके अलावा तनाव, कैफीन के अधिक सेवन और कमजोर नज़र के कारण भी यह समस्या हो सकती है।
गर्भावस्था के दौरान शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं। ये सिरदर्द को ट्रिगर करने का भी काम करते हैं। अगर आपको पहले से ही माइग्रेन की समस्या है तो इस दौरान सावधानी बरतें।
प्रीक्लेम्पसिया के कारण रक्तचाप बढ़ जाता है। यह भी सिरदर्द का कारण हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान बीपी का बढ़ना ठीक नहीं है, इसलिए जरूरी है कि आप किसी विशेषज्ञ से सलाह लें।
निवारक उपाय
सिर दर्द की समस्या में अधिक से अधिक तरल पदार्थ का सेवन करें। जिससे शरीर में पानी की कमी को पूरा किया जा सके।
– पूरी नींद लें। अगर नींद एक बार में पूरी नहीं हो रही है तो इसे टुकड़ों में पूरा कर लें।
हरी सब्जियां, फल, जूस, सलाद और अंकुरित अनाज खाएं।
आप गर्म तेल से सिर की मालिश कर सकते हैं, इससे काफी आराम मिलता है।
तनाव से बचने के लिए रोजाना मेडिटेशन करें।
समय-समय पर बीपी चेक करते रहें।