विस्तार 31 दिसंबर की रात को जहां लोग नए साल के स्वागत का जश्न मना रहे थे, वहीं एक नवजात बच्ची जिंदगी और मौत से लड़ रही थी। कड़ाके ठंड में यह बच्ची झाड़ियों के बीच पड़ी रो रही थी। इसे फेंकते वक्त उस मां की ममता भी नहीं पसीजी जिसने इसे जन्म दिया था। नागरिकों और पुलिस की मदद से बच्ची की जान बच गई और फिलहाल अस्पताल में उपचार चल रहा है।
मानवता को झकझोरने वाली यह घटना हुई इंदौर के तुलसी नगर क्षेत्र में। जानकारी के मुताबिक यहां खाली प्लॉट में झाड़ियों के बीच नवजात बच्ची पड़ी हुई थी। उसके शरीर पर कोई वस्त्र तक नहीं था और कड़कड़ाती ठंड में वह जीवन-मत्यु से जूझ रही थी। देर रात को उसके रोने की आवाज सुनकर किसी ने डायल 100 की सूचना दी। डायल 100 की टीम वहां पहुंची और उसे अस्पताल में भर्ती करवाया।
पुलिस ने बताया कि बच्ची के शरीर पर कोई वस्त्र नहीं था और उसे हार पहनाया गया था। डॉक्टरों के अनुसार बच्ची एक दिन की है। किसी ने जन्म के बाद ही उसे झाड़ियों में फेंक दिया था। एमवाय अस्पताल में उसका उपचार चल रहा है। बच्ची को इस हालत में किसने फेंका इसका पता नहीं चल पाया है। पुलिस तलाश कर रही है। पुलिस का कहना है कि 31 दिसंबर की देर रात को एफआरवी पर किसी ने कॉल करके बताया था कि हमारे घर के पास प्लॉट पर बच्चे के रोने की आवाज आ रही है। डायल 100 लसुड़िया के पायलट गोविंद दुबे और आरक्षक प्रमोद गिल तुरंत वहां पहुंचे। सूचनाकर्ता से बात की और मौके पर गए। वहां नवजात पड़ी हुई थी। पुलिस की तत्परता से बच्ची सही समय पर अस्पताल पहुंची और उसकी जान बच सकी।