अगर आपको घूमने का शौक है तो आप पिंक सिटी यानी जयपुर जरूर घूमे होंगे। अगर आप नहीं गए हैं तो अभी जाइए और वहां हवा महल देखिए। हवा महल को जयपुर की शान माना जाता है। महल अपनी सुंदरता और अद्वितीय डिज़ाइन के कारण आकर्षित करता है। जानिए इससे जुड़ी खास बातें।
हवा महल का निर्माण राजा सवाई प्रताप सिंह ने वर्ष 1799 में करवाया था। कहा जाता है कि वह भगवान कृष्ण के बहुत बड़े भक्त थे, इसलिए उन्होंने इस महल को भगवान कृष्ण के मुकुट के आकार में बनवाया था। यह महल राधा कृष्ण को समर्पित माना जाता है।
हवा महल के लिए कहा जाता है कि इस पूरी इमारत को बिना किसी ठोस नींव के रखा गया है। दुनिया में कई ऊंची इमारतें हैं, लेकिन यह बिना नींव वाली इमारतों में सबसे ऊंची है।
ठोस नींव की कमी के कारण यह 87 डिग्री के कोण पर घुमावदार और झुका हुआ है।
हवा महल में 953 छोटी खिड़कियां हैं जिनसे होकर ठंडी हवा आती है। लेकिन यहां 5वीं मंजिल के नाम पर इसका नाम हवा महल रखा गया। 5वीं मंजिल को हवा मंदिर के नाम से जाना जाता है, इसलिए इस महल को हवा महल के नाम से जाना जाता है।
इस पांच मंजिला इमारत में सीढ़ी नहीं, बल्कि रैंप है। इसका विशिष्ट गुलाबी रंग, प्राकृतिक बलुआ पत्थर के कारण शहर के बीचोबीच बनी इस गुलाबी इमारत के कारण जयपुर शहर को गुलाबी शहर कहा जाता है।
इस महल को वास्तुकार लाल चंद्र उस्ताद ने डिज़ाइन किया था। गुंबददार छत, कमल और फूलों के अलावा आप इस महल में बारीक नक्काशी देख सकते हैं। यह मुगल और हिंदू राजपूत वास्तुकला के मिश्रण का एक अनूठा उदाहरण है।