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बिज़नस भारत

एपीडा की सहायता से, उत्तर प्रदेश का पूर्वांचल क्षेत्र भारत के निर्यात के नए केंद्र के रूप में उभरा

वाराणसी कृषि-निर्यात केंद्र के विकास के माध्यम से कृषि उत्पादों का हो रहा निर्यात

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पिछले छह महीनों में, पूर्वांचल क्षेत्र से लगभग 20,000 एमटी कृषि-ऊपज का निर्यात किया गया

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के घनिष्ठ समन्वयन के साथ, कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने वाराणसी कृषि-निर्यात हब (वीएईएच) के विकास के माध्यम से चारों तरफ जमीन से घिरे पूर्वांचल क्षेत्र को कृषि निर्यात कार्यकलापों के एक नए गंतव्य के रूप में उभारने के लिए कई पहल की है।

एपीडा ने वीएईएच के तहत कवर किए जाने वाले कवर किए जाने वाले उत्तर प्रदेश के संभावित जिलों की पहचान की है। पूर्वांचल प्रभाग में वाराणसी, मिर्जापुर, आजमगढ़, प्रयागराज, बस्ती, गाजीपुर, जौनपुर, चंदौली तथा संत रवि दास नगर के जिले शामिल हैं।

मूलभूत बुनियादी ढांचे के अभाव में वाराणसी क्षेत्र में पहले मामूली रूप से कृषि संबंधी उत्पादों का निर्यात किया जाता था, पर अब यहां गतिविधियों से रौनक बनी रहती है जिसने निर्यात को बढ़ावा दिया है। एपीडा द्वारा युक्तिपूर्ण कदम उठाये जाने के बाद, वाराणसी क्षेत्र ने निर्यात परिदृश्य में अनुकरणीय बदलाव देखने में आए हैं और इसने बहुत ही कम समय में अपनी तरह की कई उपलब्धियां दर्ज कराई हैं।

एपीडा के सक्रिय उपायों के साथ, पिछले छह महीनों के दौरान पूर्वांचल क्षेत्र से लगभग 20,000 मीट्रिक टन (एमटी) कृषि ऊपज का निर्यात किया जा चुका है। इन निर्यातों में से लगभग 5,000 एमटी ताजे फल और सब्जियां तथा 15,000 एमटी मोटे अनाज वियतनाम, खाड़ी देशों, नेपाल और बांग्लादेश को परिवहन के सभी माध्यमों के उपयोग के जरिये निर्यात किए जा चुके हैं।

वाराणसी तथा समीप के क्षेत्रों ने वर्ष 2021 के अक्टूबर, नवंबर तथा दिसंबर महीनों में क्रमशः लगभग 12 एमटी, 22 एमटी तथा 45 एमटी का निर्यात दर्ज किया। इसके अतिरिक्त, वाराणसी तथा निकटवर्ती क्षेत्रों से लगभग 125 एमटी का भी निर्यात किया गया है।

चूंकि वाराणसी का क्षेत्र गंगा नदी के मैदानी हिस्सों में स्थित है, यहां पर्याप्त उर्वरता की मात्रा के साथ मिट्टी की समृद्ध पोषक संरचना है जिससे अच्छी गुणवत्ता के कृषि-ऊपजों का उत्पादन होता है। वाराणसी क्षेत्र में भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आईआईवीआर) संस्थान, अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (आईआरआरआई), बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) जैसे विख्यात केंद्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर के संस्थान भी हैं।

वर्तमान में, वाराणसी क्षेत्र में कई सारे निर्यातक हैं और कृषि उत्पादों का निर्यात मजबूत क्वारांटाइन तथा लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा ( एलबीएसआई) पर कस्टम मंजूरी सुगमीकरण केंद्र की स्थापना के कारण हवाई मार्ग के जरिये किया जा रहा है। एपीडा ने पूरे वाराणसी क्षेत्र में 30 से अधिक क्षमता निर्माण कार्यक्रमों का आयोजन किया है जिसके बाद आठ अंतरराष्ट्रीय क्रेता-विक्रेता बैठकों का आयोजन किया गया है जिसने निर्यातकों को वैश्विक बाजारों में अपने खाद्य उत्पादों के विपणन के लिए एक मंच उपलब्ध कराया है।

उत्पाद तथा उत्पादन की निगरानी करने के लिए, एआई टेक की एक परियोजना पर भी मंजूरी के लिए विचार किया जा रहा है। एपीडा की योजना किसान उत्पादक संगठन के सदस्यों को कृषि आपूर्ति श्रृंखला तथा मार्केट लिंकेज का अनुभव प्रदान कराने के लिए विभिन्न सफल क्षेत्रों में ले जाने की भी है।

सरकार पूर्वांचल के गोरखपुर क्षेत्र में भी वाराणसी मॉडल की पुनरावृत्ति करने पर विचार कर रही है क्योंकि दोनों ही स्थानों की भौगोलिक स्थिति, जनसांख्यिकीय स्थिति तथा कुछ अन्य मानक समान ही हैं। कुशीनगर में हाल ही में स्थापित अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भी निर्यात में तेजी लाने में एक अहम भूमिका निभा सकता है। क्षेत्र में कृषि कार्यकलापों को बढ़ावा देने की दिशा में डीडीयू गोरखपुर विश्वविद्यालय, मऊ स्थित भारतीय बीज विज्ञान संस्थान जैसी संस्थाएं सक्रियतापूर्वक कार्य कर रही हैं।

एपीडा ने गैर-बासमती चावल के व्यापक अनाज और पोषण गुणवत्ता प्रोफाइलिंग, चावल से मूल्य वर्द्धित उत्पादों तथा चावल आधारित खाद्य प्रणालियों के लिए तीन परियोजनाओं को भी मंजूरी दी है। वाराणसी क्षेत्र में कृषि निर्यात बढ़ाने के लिए समेकित आईटी सॉल्यूशंस के लिए एपीडा वित्तपोषित एक परियोजना भी प्रक्रिया के अधीन है।

दिसंबर 2019 में वाराणसी से दुबई के जेबेल अली बंदरगाह के लिए एपीडा द्वारा 14 मीट्रिक टन हरी मिर्च के पहले प्रायोगिक शिपमेंट के निर्यात को सुगम बनाया गया था।

एपीडा द्वारा कदम उठाये जाने के बाद महामारी के दौरान वाराणसी से पहली बार 3 मीट्रिक टन ताजी सब्जियां लंदन निर्यात की गईं, 3 मीट्रिक टन ताजे आम दुबई के लिए निर्यात किए गए, 1.2 मीट्रिक टन ताजे आम लंदन को निर्यात किए गए, 520 मीट्रिक टन क्षेत्रीय चावल कतर भेजे गए तथा 80 मीट्रिक टन क्षेत्रीय चावल ऑस्ट्रेलिया के लिए निर्यात किए गए।

इस बीच, संत रविदास नगर जिले में स्थित त्रिसागर फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड ने एपीडा द्वारा कदम उठाए जाने के बाद दैनिक आधार पर अंतरराष्ट्रीय बाजार में निर्यात करना आरंभ कर दिया है। सफलता की एक दूसरी कहानी 1500 प्रगतिशील किसानों के आधार के साथ गाजीपुर जिला स्थित शिवांश कृषक प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड से संबंधित है जिसने कृषि ऊपज की एक अच्छी मात्रा का निर्यात करने के बाद अपनी वस्तुओं के लिए बहुत बढ़िया मूल्य प्राप्त करने में सफलता पाई है।

इसी प्रकार, वाराणसी स्थित एफपीओ जया सीड फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड जो लगभग 50 एकड़ में आम का उत्पादन करती है, एपीडा की युक्ति के बाद बाजार के औसत मूल्य की तुलना में उच्चतर कीमत प्राप्त कर रही है। एपीडा द्वारा की गई पहल से पूर्व, एफपीसी 25 रुपये प्रति किलोग्राम की औसत कीमत पर आमों की बिक्री किया करती थी, लेकिन हाल के दिनों में उसने नीदरलैंड स्थित सुपर प्लम नाम की कंपनी, जिसके बंगलुरु तथा मुंबई में कुछ खुदरा विक्रय केंद्र हैं, को 50 रुपये प्रति किलोग्राम की कीमत पर इसकी बिक्री की।

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