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क्या आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेताओं की जानकारी छिपाने वाले दलों की मान्यता रद्द हो जाएगी, सुप्रीम कोर्ट करेगा फैसला, याचिका को होगी मंजूरी

पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए यह याचिका बीजेपी नेता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने दायर की है. याचिका में कहा गया है कि जो भी राजनीतिक दल ऐसे आपराधिक मामलों वाले नेताओं को चुनाव में खड़ा करे और उनकी जानकारी सार्वजनिक न करे तो चुनाव आयोग को उसकी मान्यता रद्द करने का निर्देश दिया जाए.

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उच्चतम न्यायालय
आपराधिक मामलों वाले राजनेताओं को चुनावी टिकट देने वाले राजनीतिक दलों के खिलाफ कार्रवाई से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। इस याचिका में कहा गया है कि कोई भी राजनीतिक दल जो ऐसे आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेताओं को चुनाव में खड़ा करता है और उनके बारे में जानकारी सार्वजनिक नहीं करता है, तो चुनाव आयोग को उसकी मान्यता रद्द करने का निर्देश दिया जाना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में राजनीतिक दलों की वेबसाइटों पर सूचना प्रकाशित करने के साथ-साथ चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि सभी पार्टियां इस जानकारी को इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और सोशियल मीडिया में भी प्रकाशित करें और यदि  निर्देशों का उल्लंघन किया जाता है, तो पार्टी अध्यक्ष के खिलाफ अदालत की अवमानना ​​​​याचिका दर्ज करें।

बीजेपी नेता ने दायर की याचिका
पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए यह याचिका बीजेपी नेता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने दायर की है. याचिका में उन्होंने यह भी अनुरोध किया है कि चुनाव आयोग को प्रत्येक पार्टी से यह पूछने का निर्देश दिया जाना चाहिए कि उसने आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार को क्यों चुना और साफ छवि वाले उम्मीदवार को मौका क्यों नहीं दिया।

अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है, “याचिकाकर्ता भारत के चुनाव आयोग को उस पार्टी का पंजीकरण रद्द करने का निर्देश देने की भी मांग करता है जो सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन है।”

इसमें दावा किया गया है कि याचिका समाजवादी पार्टी ,जो पंजीकृत है और मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टी है, द्वारा कैराना निर्वाचन क्षेत्र से कथित गैंगस्टर नाहिद हसन को प्रत्याशी बनाया लेकिन उसने सुप्रीम कोर्ट फरवरी, 2020 के फैसले में दिये गए निर्देशों की भावना के अनुरूप उम्मीदवारी घोषित होने के 48 घंटे के भीतर उनके आपराधिक रिकॉर्ड को इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और सोशल मीडिया में प्रकाशित नहीं करने के तथ्य के मद्देनजर दायर की गयी है.

दावा- खतरनाक अपराधियों को मिल रहा टिकट
याचिका में दावा किया गया है, “इससे नागरिकों को हुई चोट बहुत बड़ी है क्योंकि मान्यता प्राप्त पार्टी भी खतरनाक अपराधियों को टिकट दे रही है। इसलिए मतदाताओं को स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से मतदान करना मुश्किल लगता है, जो कि अनुच्छेद 19 के तहत एक मौलिक अधिकार है। ।”

याचिका में कहा गया है कि अपराधियों को विधायक बनने के लिए चुनाव लड़ने की अनुमति देने के परिणाम लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता के लिए बहुत खतरनाक हैं। याचिका में कहा गया है कि वे न केवल चुनाव प्रक्रिया के दौरान हस्तक्षेप करने के लिए बड़ी मात्रा में अवैध धन का दुरुपयोग करते हैं, बल्कि मतदाताओं और प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवारों को भी धमकाते हैं।

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