परीक्षा बोर्ड की हो या फिर कोई प्रतियोगी। कोरोना महामारी के कारण तारीखों के बदलने का क्रम पिछले दो सालों से जारी है। पिछली बार तो दसवीं और 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं किस तरह हुईं, सभी जानते हैं। इस बार भी क्या होगा, अभी कोई नहीं जानता।
कुछ परीक्षाओं की तारीखें बदली हैं। इसलिए भले ही तारीखें बदलें, लेकिन सभी को अपनी तैयारी जारी रखनी चाहिए। गौर हो कि कोरोना की वजह से बोर्ड परीक्षा पैटर्न में बदलाव किया गया। इस बार 2 चरणों में 10वीं व 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं की व्यवस्था की गयी। एक टर्म का एग्जाम बीते नवंबर में हो चुका है। दूसरे टर्म की परीक्षा आगामी फरवरी-मार्च में होनी है। लेकिन अब अचानक कोरोना की तीसरी लहर आ गयी जिससे स्कूल में बच्चों का जाना कब तक सुरक्षित बनेगा अभी कहा नहीं जा सकता है। ऐसे में परीक्षा के लिए तारीख आगे टल सकती है या फिर ऑनलाइन परीक्षा होगी। यदि एग्जाम लेट हुए तो विद्यार्थियों को तैयारी के लिए अतिरिक्त समय तो मिल सकता है, लेकिन लापरवाही और पढ़ाई का तारतम्य टूटना नुकसान भी पहुंचा सकता है। तो बच्चो, कैसे जारी रखा जाये पुख्ता तैयारी का सिलसिला, आइये उस पर कुछ चर्चा करें-
किताबों एवं नोट्स पर हो फोकस
लक्ष्य बढ़िया तैयारी का हो तो फाेकस रखना पहली शर्त है। लेकिन वक्त प्रचुर मात्रा में होने के चलते विस्तृत अध्ययन को मन करता है। अपनी कोर्स की किताबों से आगे बढ़कर गाइड और इंटरनेट साइट्स पर मौजूद मैटीरियल अक्सर कोर्स वर्क की सीमा से बाहर ले जाता है। अपनी किताबों व नोट्स तक ही तैयारी काफी है।
सैंपल पेपर व प्रैक्टिस टेस्ट
सभी चैप्टर्स का रिवीजन कर चुके हैं तो सैंपल पेपर्स का अध्ययन अगला कदम है। उनमें ऐसे प्रश्न आते हैं जो पढ़े नहीं या ठीक से नहीं पढ़े। वे पढ़कर या रिवाइज करके आगे बढ़ें। अगला पड़ाव प्रैक्टिस या मॉक टेस्ट का बनायें तो टाइम लिमिट में परीक्षा देनी आ जायेगी। वहीं भूलने वाले पाॅइंट्स का पता चल जाएगा।
डिस्कशन/ शंका समाधान
पहला रिविजन एकांत में ही ठीक है। उस दौरान कुछ बिंदु चर्चा के योग्य मिलते हैं। एक-दो सहपाठियों से डिस्कशन करने पर वे विषय स्पष्ट हो सकते हैं। ज्यादा उलझन किसी टॉपिक में लगे तो टीचर से संपर्क किया जा सकता है।
ऑनलाइन परीक्षा हो तो …
परीक्षा का मोड ऑनलाइन बदलने पर पुस्तक से देखकर पेपर देना होगा। उसकी भी बेहतर तैयारी से ही बेहतर अंक आने संभव हैं। पहले एग्जाम के निर्देश ध्यान से पढ़ें। फिर प्रश्नों की प्रकृति के बारे में संबंधित हेल्पलाइन या फिर अपने टीचर्स से पूछें।
विषय की नॉलेज : विषय का बेहतर ज्ञान व समझ होे, पुस्तक देखकर लिखने पर भी तभी अच्छे अंक संभव हैं।
स्पष्ट, संक्षिप्त लेखन : पेपर की तय समय सीमा के भीतर व स्पष्ट लिखना भी महत्वपूर्ण है।
एनालिटिकल, प्रैक्टिकल : मोड ऑनलाइन हो तो परीक्षा बोर्ड आपसे प्रश्नों के उत्तर लॉजिकल व विश्लेषणात्मक तरीके से देने की उम्मीद करता है। पुस्तक में से हूबहू नकल शायद ही काम आये।
मैटीरियल का सिस्टम : आनलाइन परीक्षा देते समय नोट्स व बुक्स साथ ही रखे हों। संभावित प्रश्नों वाले अहम टॉपिक वाले पेजों पर टैग्स लगे हों या फिर हाइलाइटर से पहचान बनाई हो ताकि वे जरूरत में एकदम काम आयें।