दिल्ली विश्वविद्यालय के श्यामलाल महाविद्यालय (सांध्य) के राष्ट्रीय सेवा योजना एवं गांधी अध्ययन केंद्र ने आईक्यूएसी के सहयोग से संयुक्त रूप में आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर कविता पाठ का आयोजन किया गया। इस आयोजन में आमंत्रित कवि थे- मदन कश्यप जी, अनामिका जी, श्रीप्रकाश शुक्ल जी, सुभाष राय जी, राकेशरेणु जी और अनिता भारती जी।
इस कविता पाठ के प्रारंभ में आज़ादी का अमृत महोत्सव के नोडल अधिकारी एवं राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी डॉ. अमित सिंह जी ने सबका स्वागत करते हुए कहा कि मैं इस मंच से,अपने महाविद्यालय की तरफ से,राष्ट्रीय सेवा इकाई एवं गांधी अध्ययन केंद्र की तरफ से आज़ादी के अमृत महोत्सव के नोडल अधिकारी के रूप में भी इस कविता पाठ में सम्मिलित सभी सम्मानित कवियों और इस आयोजन से जुड़े सभी लोगों का आत्मीय आभार व्यक्त करता हूँ।आज का दिन हमारे लिए बहुत आनंदातिरेक का दिन है।जब से इस आयोजन की रूपरेखा और प्रचार शुरू हुआ तब से सभी कवियों को सुनने उत्कंठा हम सबके मन में प्रबल हो रही थी।इस आयोजन को आगे बढ़ाते हुए डॉ. अमित सिंह जी ने महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. रमेश कुमार जी को सभी आमंत्रित कवियों का स्वागत करने और इस आयोजन पर अपनी बात रखने के लिए आमंत्रित किया।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. रमेश कुमार जी ने सभी सम्मानित कवियों का स्वागत करते हुए कहा कि आप सबने इस विषम मौसम में हम सबके लिए समय निकाला ये बड़े हर्ष की बात है,इसके लिए विशेष आभार।इतने प्रसिद्ध साहित्यकारों को एक साथ अपने महाविद्यालय में देखना मेरे साथ हमारी संस्था भी गौरवान्वित महसूस कर रही है।ये बहुत अच्छा संयोग है कि राष्ट्रीय सेवा योजना और गांधी अध्ययन केंद्र दोनों गांधी के विचारों को आगे बढ़ाने वाली संस्थाएं एक साथ इस आयोजन को आईक्यूएसी के साथ मिलकर कर रही हैं।हमारी इस संस्था की तरफ से आमंत्रित सभी सम्मानित कवियों का,इस आयोजन से जुड़े सभी लोगों के साथ ऐसे कामों को करने की प्रेरणा, विशेष सहायता और सुविधा मुहैया कराने का काम आईक्यूएसी करती है,उसके संयोजक डॉ. कुमार प्रशांत जी का विशेष धन्यवाद।इसके बाद डॉ. अमित सिंह जी ने आईक्यूएसी के संयोजक डॉ. कुमार प्रशांत जी को इस आयोजन पर बात करने लिए आमंत्रित किया।डॉ. कुमार प्रशांत जी ने आईक्यूएसी की तरफ से सभी आमंत्रित कवियों का स्वागत करते हुए कहा कि ये हमारा सौभाग्य है कि इतने चर्चित कवि एक साथ हमारे बीच उपस्थित हैं।इसके बाद गांधी अध्ययन केंद्र के प्रभारी डॉ. प्रमोद कुमार द्विवेदी जी ने महाविद्यालय की सभी संस्थाओं की तरफ से सभी कवियों के साथ इस आयोजन से जुड़े सभी लोगों का हार्दिक स्वागत करते हुए कहा कि गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित कविता पाठ बहुत गरिमामयपूर्ण ढंग से आगे बढ़ेगा और हम सभी इसी से लाभान्वित होंगे।
आयोजन को आगे बढ़ाते हुए डॉ अमित सिंह जी ने पहले कवि के रूप में चर्चित कवयित्री और सामाजिक कार्यकर्ता अनिता भारती जी को कविता पाठ के लिए आमंत्रित किया।अनिता भारती जी ने ” उड़ान”, कविता में स्त्री की स्वछंदता की उड़ान की उम्मीद को जगाये रखा है ,”हमें तुम्हारी बेटियाँ पसंद हैं” कविता में कामकाजी महिलाओं की सामाजिक स्थिति को दर्शाया, ” जहांगीरपुरी की औरतें 1-2″ कविताओं में उन स्त्रियों के संघर्ष को दिखाया गया है,जो अपने अंदर आग को छिपाए निडरता से आगे बढ़ रही हैं, “आठ मार्च” कविता में महिला दिवस के बहाने समाज में स्त्रियों को जिस तरह उपेक्षित रखा जाता है उसकी यथार्थता को व्यंजित किया है,
” रहस्य” कविता पुरानी और नई पीढ़ी की स्त्रियों की मानसिक स्थिति को बहुत यथार्थपरक ढंग से व्यक्त करती है, ” दीये की तरह ” कविता में प्रेम के अनेक पक्षों को व्यंजित किया गया है।
इसके बाद दूसरे कवि के रूप में चर्चित वरिष्ठ कवि और आजकल के संपादक राकेशरेणु जी ने अपनी कविताओं का पाठ किया।पहली कविता ” अनुनय ” लौटने के विविध आयामों को समेटे हुए हमारे अंदर की उम्मीदों को बनाये रखती है, ” प्रेम ” कविता प्रेम की पराकाष्ठा को व्यंजित करती है, ” तुन्हें प्यार करता हूँ ” कविता में प्रेम की सार्वभौमिकता को दर्शाया गया है, ” स्त्री-एक ” कविता में स्त्री के वजूद और उसके त्याग और संघर्ष को जीवंतता के साथ सामने रखा गया है, “स्त्री -दो” कविता में उन स्त्रियों की गाथा को गुम्फित किया गया है जो समाज में अपने लिए थोड़ी जगह चाह रही थीं, ” नये मगध में ” कविता में सामाजिक और राजनैतिक यथार्थ को बहुत सूक्ष्मता से व्यक्त किया गया, “आदमियत” कविता मनुष्य की आदमियत के नंगेपन को उजागर करती है,”एक रंग हरा” कविता में फैले हरे रंग में किसानी रंग को महसूस किया जा सकता है, ” एक रंग काला” कविता काले रंग के अंदर छिपे गूढ़ अर्थों को इतिहास के आईने में दिखाती चलती है, “आत्मकथ्य ” कविता सामाजिक समरसता के भाव को बनाये रखने की संभावनाओं को व्यक्त करती है।
इस कार्यक्रम के अगले भाग का संचालन डॉ. प्रमोद कुमार द्विवेदी जी ने करते हुए अगले कवि के रूप में चर्चित वरिष्ठ कवि और सम्पादक सुभाष राय जी को आमंत्रित किया।कवि सुभाष राय ” सुंदरतम” कविता में सुंदरता के अनेक आयामों को व्यंजित करते हुए भविष्य के और सुंदर होने की उम्मीद को बनाये रखते हैं ,” एक समय है ” कविता में सामाजिक विडंबना पर तीखा प्रहार किया गया है, “शिखर ” कविता समाज के भेड़िया धसान होने की प्रवृत्ति को यथार्थ रूप में चित्रित करती है, “मुठभेड़” कविता में उस निरकुंश शासक की तानाशाही को दिखाया गया है,जिसके शासन में न्यापालिकाएं भी उसी का आदेश मानने को मजबूर है, ” बुलडोजर” कविता में बुलडोजर ऐसे बिंब के रूप में सामने आता है जो कानूनी किताब में भी अपने दाँत गड़ा देता है, ” बीज” कविता हाहाकार के बीच मजबूत आवाज के रूप में उस बीज को अनेक बिंबों के माध्यम से व्यक्त करती है,” मूर्तियाँ” कविता मनुष्य के पत्थर होते जाने के सच के साथ अपने अनुरूप मूर्तियों के गढ़ने के पीछे के सच को उजागर करती है,” जागते रहो” कविता उस प्रभातफेरी की तरह जो समाज के सोए लोगों को जगाये रखने की तरह है ,” गांधी की विरासत” कविता हमें गांधी की विरासत को संभालने के लिए प्रेरित करती है,” आग” कविता में हम प्रेम की आभा को आग में परिणित होते देख सकते हैं,” मुल्क का चेहरा ” कविता में कवि अपने सपनों के मुल्क को देखना चाहता है,लेकिन उसे निराशा ही हाथ लगती है।
इसकी अगली कड़ी में चर्चित वरिष्ठ कवि और आलोचक प्रो. श्रीप्रकाश शुक्ल जी ने अनेक कविताओं का पाठ किया। “उत्तर कोरोना” कविता के माध्यम से कवि कोरोनाकाल की भयावता के बीच मानवीय संवेदनाओं के उतार-चढ़ाव को बहुत सूक्ष्मता से शब्दबद्ध करता है और ये बताता है कि ये दौर आस्थाओं के फड़फड़ाने का दौर है।इस दौर में हर बार विवेक ही मारा जायेगा, ” इंतजार” कविता कोरोना के समय की मार्मिकता को जीवंतता के साथ सामने रखती है, “असहाय प्रार्थनाओं के इस दौर में” कविता कोरोना के उस दौर में हवा के अंदर के हाहाकार को बखूबी पहचानी हुई मनुष्य के अकेले होते जाने की विवशता को रेखांकित करती है।ये दौर आँकड़ों के गिनने का दौर है,जिसमें उम्मीद अभी भी बनी हुई है।
इस कविता पाठ के अगले पड़ाव में साहित्य अकादमी सम्मान से सम्मानित चर्चित कवयित्री ,कहानीकार और स्त्री-विमर्श का जानामाना नाम अनामिका जी ने अलग – अलग मूड़ की अनेक कविताओं का पाठ किया। “बंद रास्तों का सफर” कविता कोरोनाकाल में घर वापसी के समय की त्रासदी की यथार्थता को व्यंजित करती है, ” मृत्यु” कविता हमारे आसपास के न जाने कितने दृश्यों को समेटे मृत्यु की पहचान करवाती है, “गणतंत्र” कविता उस बच्चे की कथा है जिसको न गण का पता है और न तंत्र का।लेकिन जिस हवा में ही हिंसा का भाव व्यापत हो उससे कोई माँ आने बच्चे को कैसे बचा सकती है।यह कविता माँ की ऊहापोह की स्थिति को बहुत बारीकी से सामने लाती है, ” टैक्टर में होरी ” कविता किसानों की दारुण गाथा को उनकी विडंबना के साथ चित्रित करती है,”आइसोलेशन वार्ड में पखेरू ” कविता कोरोना के समय में व्याप्त मृत्यु की व्याप्ति को दर्शाती है।
इस कविता पाठ के अंतिम कवि के रूप में चर्चित वरिष्ठ कवि,संपादक और आलोचक मदन कश्यप जी ने अलग-अलग भावों से पगी कविताएँ पढ़ीं। ” कौवा डोल ” कविता जीवन के बचे रहने की अदम्य लालसा से उपजी है, “मैना” कविता में आये चारागाह आदि हमारे समाज के प्रतिरूप हैं जिनमें आग लगी है और ये आग हम तक भी पहुँच गई है,लेकिन हमें इसका भान ही नहीं है कि वह आग उसे ही जला रही है, “तब भी बचा रहेगा देश” कविता बताती है कि देश नहीं मरते बल्कि उसे खत्म करने वाले मर जाते हैं।उनका तिलिस्म खत्म होने के बाद धीरे धीरे पटरी पर फिर लौटेगा देश, “तुम्हारा हाथ थामे थामें” कविता प्रेम में सहभागिता की उत्कृष्टता को अनेक बिंबों के माध्यम से सजीवता के साथ हमारे सामने मूर्तवत कर देती है।
इस कविता पाठ के बाद हिंदी विभाग की डॉ.सुमित्रा जी ने अपनी कविता का सस्वर पाठ किया,महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. रमेश कुमार जी ने इस आयोजन की सफलता पर बोलते हुए कहा कि इस कविता पाठ ने मेरी उस धारणा को बदल दिया है,जिसमें मुझे लगता था कि साहित्यकारों ने अपनी जुबान बंद कर ली है।सभी कवियों के सामाजिक सरोकारों को देखते हुए सबको सलाम। हिंदी विभाग के वरिष्ठ अध्यापक डॉ.अनिल राय जी ने इस सार्थक और सुंदर कार्यक्रम के लिए आयोजकों को बधाई देते हुए कहा कि आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने बहुत पहले ही कहा था कि कविता इतनी प्रयोजनीय वस्तु है जो संसार की सभ्य और असभ्य जातियों में पाई जाती है।चाहे इतिहास न हो,विज्ञान न हो,दर्शन न हो पर कविता अवश्य होगी।साफ है कि जहाँ जीवन होगा वहाँ कविता जरूर होगी।उन्होंने आगे कहा कि आप सबने बड़ी बेबाकी से समाज में घटित घटनाओं को कविता के माध्यम से हमें परिचय कराया।आप सबको एक साथ इस आभासी मंच पर सुनना पूरे महाविद्यालय के लिए बहुत हर्ष का विषय है।
आयोजन के अंत में गांधी अध्ययन के प्रभारी डॉ. प्रमोद कुमार द्विवेदी जी ने औपचारिक धन्यवाद देते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. रमेश कुमार जी,आईक्यूएसी के संयोजक डॉ. कुमार प्रशांत जी, सभी आमंत्रित कवियों, आज़ादी के अमृत महोत्सव के नोडल अधिकारी एवं राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी डॉ.अमित सिंह जी, हिंदी विभाग के साथ अन्य विभाग के जुड़े साथियों और सभी विद्यार्थियों को इस आयोजन को सफल बनाने के लिए आभार व्यक्त किया।इस आयोजन में राष्ट्रीय सेवा योजना और गांधी अध्ययन केंद्र के सभी संस्थागत सदस्य ,महाविद्यालय के हिंदी विभाग के सभी अध्यापकों के साथ अन्य विभागों के अध्यापक और छात्रों के अलावा दिल्ली विश्वविद्यालय के अन्य महाविद्यालयों एवं बाहर के कई विश्वविद्यालयों से बहुत सारे सम्मानित लोगों की गरिमामय उपस्थिति रही।
तीन घंटे तक चले इस कार्यक्रम में उपस्थित शिक्षकों -छात्रों की निरंतर सहभागिता और टिप्पणियाँ इस आयोजन की सफलता को स्वयंमेव सिद्ध करती हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय के श्यामलाल महाविद्यालय (सांध्य) के राष्ट्रीय सेवा योजना एवं गांधी अध्ययन केंद्र ने आईक्यूएसी के सहयोग से संयुक्त रूप में आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर कविता पाठ का आयोजन किया गया। इस आयोजन में आमंत्रित कवि थे- मदन कश्यप जी, अनामिका जी, श्रीप्रकाश शुक्ल जी, सुभाष राय जी, राकेशरेणु जी और अनिता भारती जी।
इस कविता पाठ के प्रारंभ में आज़ादी का अमृत महोत्सव के नोडल अधिकारी एवं राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी डॉ. अमित सिंह जी ने सबका स्वागत करते हुए कहा कि मैं इस मंच से,अपने महाविद्यालय की तरफ से,राष्ट्रीय सेवा इकाई एवं गांधी अध्ययन केंद्र की तरफ से आज़ादी के अमृत महोत्सव के नोडल अधिकारी के रूप में भी इस कविता पाठ में सम्मिलित सभी सम्मानित कवियों और इस आयोजन से जुड़े सभी लोगों का आत्मीय आभार व्यक्त करता हूँ।आज का दिन हमारे लिए बहुत आनंदातिरेक का दिन है।जब से इस आयोजन की रूपरेखा और प्रचार शुरू हुआ तब से सभी कवियों को सुनने उत्कंठा हम सबके मन में प्रबल हो रही थी।इस आयोजन को आगे बढ़ाते हुए डॉ. अमित सिंह जी ने महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. रमेश कुमार जी को सभी आमंत्रित कवियों का स्वागत करने और इस आयोजन पर अपनी बात रखने के लिए आमंत्रित किया।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. रमेश कुमार जी ने सभी सम्मानित कवियों का स्वागत करते हुए कहा कि आप सबने इस विषम मौसम में हम सबके लिए समय निकाला ये बड़े हर्ष की बात है,इसके लिए विशेष आभार।इतने प्रसिद्ध साहित्यकारों को एक साथ अपने महाविद्यालय में देखना मेरे साथ हमारी संस्था भी गौरवान्वित महसूस कर रही है।ये बहुत अच्छा संयोग है कि राष्ट्रीय सेवा योजना और गांधी अध्ययन केंद्र दोनों गांधी के विचारों को आगे बढ़ाने वाली संस्थाएं एक साथ इस आयोजन को आईक्यूएसी के साथ मिलकर कर रही हैं।हमारी इस संस्था की तरफ से आमंत्रित सभी सम्मानित कवियों का,इस आयोजन से जुड़े सभी लोगों के साथ ऐसे कामों को करने की प्रेरणा, विशेष सहायता और सुविधा मुहैया कराने का काम आईक्यूएसी करती है,उसके संयोजक डॉ. कुमार प्रशांत जी का विशेष धन्यवाद।इसके बाद डॉ. अमित सिंह जी ने आईक्यूएसी के संयोजक डॉ. कुमार प्रशांत जी को इस आयोजन पर बात करने लिए आमंत्रित किया।डॉ. कुमार प्रशांत जी ने आईक्यूएसी की तरफ से सभी आमंत्रित कवियों का स्वागत करते हुए कहा कि ये हमारा सौभाग्य है कि इतने चर्चित कवि एक साथ हमारे बीच उपस्थित हैं।इसके बाद गांधी अध्ययन केंद्र के प्रभारी डॉ. प्रमोद कुमार द्विवेदी जी ने महाविद्यालय की सभी संस्थाओं की तरफ से सभी कवियों के साथ इस आयोजन से जुड़े सभी लोगों का हार्दिक स्वागत करते हुए कहा कि गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित कविता पाठ बहुत गरिमामयपूर्ण ढंग से आगे बढ़ेगा और हम सभी इसी से लाभान्वित होंगे।
आयोजन को आगे बढ़ाते हुए डॉ अमित सिंह जी ने पहले कवि के रूप में चर्चित कवयित्री और सामाजिक कार्यकर्ता अनिता भारती जी को कविता पाठ के लिए आमंत्रित किया।अनिता भारती जी ने ” उड़ान”, कविता में स्त्री की स्वछंदता की उड़ान की उम्मीद को जगाये रखा है ,”हमें तुम्हारी बेटियाँ पसंद हैं” कविता में कामकाजी महिलाओं की सामाजिक स्थिति को दर्शाया, ” जहांगीरपुरी की औरतें 1-2″ कविताओं में उन स्त्रियों के संघर्ष को दिखाया गया है,जो अपने अंदर आग को छिपाए निडरता से आगे बढ़ रही हैं, “आठ मार्च” कविता में महिला दिवस के बहाने समाज में स्त्रियों को जिस तरह उपेक्षित रखा जाता है उसकी यथार्थता को व्यंजित किया है,
” रहस्य” कविता पुरानी और नई पीढ़ी की स्त्रियों की मानसिक स्थिति को बहुत यथार्थपरक ढंग से व्यक्त करती है, ” दीये की तरह ” कविता में प्रेम के अनेक पक्षों को व्यंजित किया गया है।
इसके बाद दूसरे कवि के रूप में चर्चित वरिष्ठ कवि और आजकल के संपादक राकेशरेणु जी ने अपनी कविताओं का पाठ किया।पहली कविता ” अनुनय ” लौटने के विविध आयामों को समेटे हुए हमारे अंदर की उम्मीदों को बनाये रखती है, ” प्रेम ” कविता प्रेम की पराकाष्ठा को व्यंजित करती है, ” तुन्हें प्यार करता हूँ ” कविता में प्रेम की सार्वभौमिकता को दर्शाया गया है, ” स्त्री-एक ” कविता में स्त्री के वजूद और उसके त्याग और संघर्ष को जीवंतता के साथ सामने रखा गया है, “स्त्री -दो” कविता में उन स्त्रियों की गाथा को गुम्फित किया गया है जो समाज में अपने लिए थोड़ी जगह चाह रही थीं, ” नये मगध में ” कविता में सामाजिक और राजनैतिक यथार्थ को बहुत सूक्ष्मता से व्यक्त किया गया, “आदमियत” कविता मनुष्य की आदमियत के नंगेपन को उजागर करती है,”एक रंग हरा” कविता में फैले हरे रंग में किसानी रंग को महसूस किया जा सकता है, ” एक रंग काला” कविता काले रंग के अंदर छिपे गूढ़ अर्थों को इतिहास के आईने में दिखाती चलती है, “आत्मकथ्य ” कविता सामाजिक समरसता के भाव को बनाये रखने की संभावनाओं को व्यक्त करती है।
इस कार्यक्रम के अगले भाग का संचालन डॉ. प्रमोद कुमार द्विवेदी जी ने करते हुए अगले कवि के रूप में चर्चित वरिष्ठ कवि और सम्पादक सुभाष राय जी को आमंत्रित किया।कवि सुभाष राय ” सुंदरतम” कविता में सुंदरता के अनेक आयामों को व्यंजित करते हुए भविष्य के और सुंदर होने की उम्मीद को बनाये रखते हैं ,” एक समय है ” कविता में सामाजिक विडंबना पर तीखा प्रहार किया गया है, “शिखर ” कविता समाज के भेड़िया धसान होने की प्रवृत्ति को यथार्थ रूप में चित्रित करती है, “मुठभेड़” कविता में उस निरकुंश शासक की तानाशाही को दिखाया गया है,जिसके शासन में न्यापालिकाएं भी उसी का आदेश मानने को मजबूर है, ” बुलडोजर” कविता में बुलडोजर ऐसे बिंब के रूप में सामने आता है जो कानूनी किताब में भी अपने दाँत गड़ा देता है, ” बीज” कविता हाहाकार के बीच मजबूत आवाज के रूप में उस बीज को अनेक बिंबों के माध्यम से व्यक्त करती है,” मूर्तियाँ” कविता मनुष्य के पत्थर होते जाने के सच के साथ अपने अनुरूप मूर्तियों के गढ़ने के पीछे के सच को उजागर करती है,” जागते रहो” कविता उस प्रभातफेरी की तरह जो समाज के सोए लोगों को जगाये रखने की तरह है ,” गांधी की विरासत” कविता हमें गांधी की विरासत को संभालने के लिए प्रेरित करती है,” आग” कविता में हम प्रेम की आभा को आग में परिणित होते देख सकते हैं,” मुल्क का चेहरा ” कविता में कवि अपने सपनों के मुल्क को देखना चाहता है,लेकिन उसे निराशा ही हाथ लगती है।
इसकी अगली कड़ी में चर्चित वरिष्ठ कवि और आलोचक प्रो. श्रीप्रकाश शुक्ल जी ने अनेक कविताओं का पाठ किया। “उत्तर कोरोना” कविता के माध्यम से कवि कोरोनाकाल की भयावता के बीच मानवीय संवेदनाओं के उतार-चढ़ाव को बहुत सूक्ष्मता से शब्दबद्ध करता है और ये बताता है कि ये दौर आस्थाओं के फड़फड़ाने का दौर है।इस दौर में हर बार विवेक ही मारा जायेगा, ” इंतजार” कविता कोरोना के समय की मार्मिकता को जीवंतता के साथ सामने रखती है, “असहाय प्रार्थनाओं के इस दौर में” कविता कोरोना के उस दौर में हवा के अंदर के हाहाकार को बखूबी पहचानी हुई मनुष्य के अकेले होते जाने की विवशता को रेखांकित करती है।ये दौर आँकड़ों के गिनने का दौर है,जिसमें उम्मीद अभी भी बनी हुई है।
इस कविता पाठ के अगले पड़ाव में साहित्य अकादमी सम्मान से सम्मानित चर्चित कवयित्री ,कहानीकार और स्त्री-विमर्श का जानामाना नाम अनामिका जी ने अलग – अलग मूड़ की अनेक कविताओं का पाठ किया। “बंद रास्तों का सफर” कविता कोरोनाकाल में घर वापसी के समय की त्रासदी की यथार्थता को व्यंजित करती है, ” मृत्यु” कविता हमारे आसपास के न जाने कितने दृश्यों को समेटे मृत्यु की पहचान करवाती है, “गणतंत्र” कविता उस बच्चे की कथा है जिसको न गण का पता है और न तंत्र का।लेकिन जिस हवा में ही हिंसा का भाव व्यापत हो उससे कोई माँ आने बच्चे को कैसे बचा सकती है।यह कविता माँ की ऊहापोह की स्थिति को बहुत बारीकी से सामने लाती है, ” टैक्टर में होरी ” कविता किसानों की दारुण गाथा को उनकी विडंबना के साथ चित्रित करती है,”आइसोलेशन वार्ड में पखेरू ” कविता कोरोना के समय में व्याप्त मृत्यु की व्याप्ति को दर्शाती है।
इस कविता पाठ के अंतिम कवि के रूप में चर्चित वरिष्ठ कवि,संपादक और आलोचक मदन कश्यप जी ने अलग-अलग भावों से पगी कविताएँ पढ़ीं। ” कौवा डोल ” कविता जीवन के बचे रहने की अदम्य लालसा से उपजी है, “मैना” कविता में आये चारागाह आदि हमारे समाज के प्रतिरूप हैं जिनमें आग लगी है और ये आग हम तक भी पहुँच गई है,लेकिन हमें इसका भान ही नहीं है कि वह आग उसे ही जला रही है, “तब भी बचा रहेगा देश” कविता बताती है कि देश नहीं मरते बल्कि उसे खत्म करने वाले मर जाते हैं।उनका तिलिस्म खत्म होने के बाद धीरे धीरे पटरी पर फिर लौटेगा देश, “तुम्हारा हाथ थामे थामें” कविता प्रेम में सहभागिता की उत्कृष्टता को अनेक बिंबों के माध्यम से सजीवता के साथ हमारे सामने मूर्तवत कर देती है।
इस कविता पाठ के बाद हिंदी विभाग की डॉ.सुमित्रा जी ने अपनी कविता का सस्वर पाठ किया,महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. रमेश कुमार जी ने इस आयोजन की सफलता पर बोलते हुए कहा कि इस कविता पाठ ने मेरी उस धारणा को बदल दिया है,जिसमें मुझे लगता था कि साहित्यकारों ने अपनी जुबान बंद कर ली है।सभी कवियों के सामाजिक सरोकारों को देखते हुए सबको सलाम। हिंदी विभाग के वरिष्ठ अध्यापक डॉ.अनिल राय जी ने इस सार्थक और सुंदर कार्यक्रम के लिए आयोजकों को बधाई देते हुए कहा कि आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने बहुत पहले ही कहा था कि कविता इतनी प्रयोजनीय वस्तु है जो संसार की सभ्य और असभ्य जातियों में पाई जाती है।चाहे इतिहास न हो,विज्ञान न हो,दर्शन न हो पर कविता अवश्य होगी।साफ है कि जहाँ जीवन होगा वहाँ कविता जरूर होगी।उन्होंने आगे कहा कि आप सबने बड़ी बेबाकी से समाज में घटित घटनाओं को कविता के माध्यम से हमें परिचय कराया।आप सबको एक साथ इस आभासी मंच पर सुनना पूरे महाविद्यालय के लिए बहुत हर्ष का विषय है।
आयोजन के अंत में गांधी अध्ययन के प्रभारी डॉ. प्रमोद कुमार द्विवेदी जी ने औपचारिक धन्यवाद देते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. रमेश कुमार जी,आईक्यूएसी के संयोजक डॉ. कुमार प्रशांत जी, सभी आमंत्रित कवियों, आज़ादी के अमृत महोत्सव के नोडल अधिकारी एवं राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी डॉ.अमित सिंह जी, हिंदी विभाग के साथ अन्य विभाग के जुड़े साथियों और सभी विद्यार्थियों को इस आयोजन को सफल बनाने के लिए आभार व्यक्त किया।इस आयोजन में राष्ट्रीय सेवा योजना और गांधी अध्ययन केंद्र के सभी संस्थागत सदस्य ,महाविद्यालय के हिंदी विभाग के सभी अध्यापकों के साथ अन्य विभागों के अध्यापक और छात्रों के अलावा दिल्ली विश्वविद्यालय के अन्य महाविद्यालयों एवं बाहर के कई विश्वविद्यालयों से बहुत सारे सम्मानित लोगों की गरिमामय उपस्थिति रही।
तीन घंटे तक चले इस कार्यक्रम में उपस्थित शिक्षकों -छात्रों की निरंतर सहभागिता और टिप्पणियाँ इस आयोजन की सफलता को स्वयंमेव सिद्ध करती हैं।