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रख रहे हैं रवि प्रदोष व्रत तो जरूर पढ़े या सुने यह कथा

 

भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि इस बार 30 जनवरी 2022 दिन रविवार को है। ऐसे में इन दोनों ही व्रतों के दौरान शिव जी का पूजन किया जाना है। तो आज हम आपको बताते हैं रवि प्रदोष व्रत की कथा। कहा जाता है जो व्रत रखता है उन्हें इस कथा का श्रवण या पाठन जरूर करना चाहिए क्योंकि अगर ऐसा ना किया जाए तो व्रत सफल नहीं होता है।

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रवि प्रदोष व्रत कथा- एक गांव में अति दीन ब्राह्मण निवास करता था। उसकी साध्वी स्त्री प्रदोष व्रत किया करती थी। उसे एक ही पुत्ररत्न था। एक समय की बात है, वह पुत्र गंगा स्नान करने के लिए गया। दुर्भाग्यवश मार्ग में चोरों ने उसे घेर लिया और वे कहने लगे कि हम तुम्हें मारेंगे नहीं, तुम अपने पिता के गुप्त धन के बारे में हमें बतला दो। बालक दीनभाव से कहने लगा कि बंधुओं! हम अत्यंत दु:खी दीन हैं। हमारे पास धन कहां है? तब चोरों ने कहा कि तेरे इस पोटली में क्या बंधा है? बालक ने नि:संकोच कहा कि मेरी मां ने मेरे लिए रोटियां दी हैं।

यह सुनकर चोरों ने अपने साथियों से कहा कि साथियों! यह बहुत ही दीन-दु:खी मनुष्य है अत: हम किसी और को लूटेंगे। इतना कहकर चोरों ने उस बालक को जाने दिया। बालक वहां से चलते हुए एक नगर में पहुंचा। नगर के पास एक बरगद का पेड़ था। वह बालक उसी बरगद के वृक्ष की छाया में सो गया। उसी समय उस नगर के सिपाही चोरों को खोजते हुए उस बरगद के वृक्ष के पास पहुंचे और बालक को चोर समझकर बंदी बना राजा के पास ले गए। राजा ने उसे कारावास में बंद करने का आदेश दिया। ब्राह्मणी का लड़का जब घर नहीं लौटा, तब उसे अपने पुत्र की बड़ी चिंता हुई। अगले दिन प्रदोष व्रत था। ब्राह्मणी ने प्रदोष व्रत किया और भगवान शंकर से मन-ही-मन अपने पुत्र की कुशलता की प्रार्थना करने लगी।

भगवान शंकर ने उस ब्राह्मणी की प्रार्थना स्वीकार कर ली। उसी रात भगवान शंकर ने उस राजा को स्वप्न में आदेश दिया कि वह बालक चोर नहीं है, उसे प्रात:काल छोड़ दें अन्यथा उसका सारा राज्य-वैभव नष्ट हो जाएगा। प्रात:काल राजा ने शिवजी की आज्ञानुसार उस बालक को कारावास से मुक्त कर दिया। बालक ने अपनी सारी कहानी राजा को सुनाई। सारा वृत्तांत सुनकर राजा ने अपने सिपाहियों को उस बालक के घर भेजा और उसके माता-पिता को राजदरबार में बुलाया। उसके माता-पिता बहुत ही भयभीत थे। राजा ने उन्हें भयभीत देखकर कहा कि आप भयभीत न हो। आपका बालक निर्दोष है। राजा ने ब्राह्मण को 5 गांव दान में दिए जिससे कि वे सुखपूर्वक अपना जीवन व्यतीत कर सकें। भगवान शिव की कृपा से ब्राह्मण परिवार आनंद से रहने लगा। अत: जो भी मनुष्य रवि प्रदोष व्रत को करता है, वह सुखपूर्वक और निरोगी होकर अपना पूर्ण जीवन व्यतीत करता है।

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