पेट्रोल-डीजल के दामों में लगातार हो रही बढ़ोतरी से ट्रांसपोर्टर और व्यापारियों से लेकर आम आदमी तक हर कोई प्रभावित हुआ है. जिस दर से ईंधन की कीमतें बढ़ रही हैं उसका सीधा असर बाजार पर पड़ रहा है। पिछले 15 दिनों में पेट्रोल-डीजल 9 रुपए 16 पैसे महंगा हो गया है। बाजार के जानकारों और व्यापारियों का कहना है कि इसका सीधा असर माल ढुलाई पर पड़ेगा और इसमें 16 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो सकती है.
मप्र में डीजल ने फिर लगाया शतक 36 जिलों में 100 रुपये के पार, बालाघाट में सबसे महंगा; पेट्रोल 120 . के करीब
मध्य प्रदेश ट्रक ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन भोपाल के अध्यक्ष जसवीर सिंह का कहना है कि पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से माल भाड़े में 16 फीसदी की बढ़ोतरी होगी. अगर ऐसा होता है तो इससे आम आदमी पर महंगाई का बोझ भी पड़ेगा।
परिवहन और कृषि क्षेत्र में डीजल की सबसे अधिक खपत
भारत में डीजल की सबसे ज्यादा खपत परिवहन और कृषि क्षेत्र में होती है। कीमत बढ़ने पर ये दोनों सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। डीजल के दाम बढ़ने से इसे कृषि से बाजार में लाना महंगा हो गया है. इससे आम आदमी और किसान दोनों का बजट खराब हो सकता है।
आम आदमी पर सीधा असर
जानकारों के मुताबिक अगर ट्रांसपोर्ट 16 फीसदी महंगा हो जाता है तो कमोडिटी की कीमत भी कम से कम ट्रांसपोर्ट की लागत के हिसाब से बढ़ जाएगी। उदाहरण के लिए मान लीजिए कि पहले बाजार में 1 क्विंटल गेहूं लाने में 100 रुपये का खर्च आता था, लेकिन परिवहन की लागत के कारण यह 116 रुपये हो जाएगा। इस बढ़े हुए 16 रुपये की वसूली आम आदमी से ही होगी। इससे लोगों को गेहूं के दाम 1.5 फीसदी तक बढ़ जाएंगे। ऐसा ही असर अन्य सामानों पर भी देखने को मिलेगा।
तेल के दाम बढ़ने से यात्री वाहनों का किराया भी बढ़ सकता है
सेवानिवृत्त परिवहन आयुक्त शैलेंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि वैश्विक प्रभाव से अंतरराष्ट्रीय बाजार प्रभावित हुआ है। इसके चलते पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ते जा रहे हैं। पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से मोटर वाहनों के मामले में लगेज के दाम बढ़ जाएंगे। यात्री ट्रेनों में किराया भी बढ़ सकता है, लेकिन इसके लिए सरकार की अनुमति जरूरी है।
सरकार पेट्रोल-डीजल के दाम कम क्यों नहीं करती?
दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 103.81 रुपये है। इसमें केंद्र सरकार का 27.90 रुपये और राज्य सरकार का 17 रुपये का वैट लगता है। इसी तरह डीजल की कीमत 95.07 रुपये प्रति लीटर है जिसमें 21.80 रुपये केंद्र और 14 रुपये राज्य सरकार को जाता है। देश के अन्य हिस्सों में भी पेट्रोल और डीजल पर टैक्स 50-60% के बीच है। सरकार पेट्रोल-डीजल पर टैक्स लगाकर अपना खजाना भर रही है।
केंद्र सरकार ने 3 साल में पेट्रोल-डीजल से कमाए 8 लाख करोड़
जहां एक तरफ कोरोना महामारी से आम आदमी की आमदनी में कमी आई है, वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर टैक्स लगाकर अच्छी खासी कमाई की है. पिछले तीन वर्षों में जहां प्रति व्यक्ति वार्षिक आय 1.26 लाख रुपये से घटकर 99,155 रुपये प्रति वर्ष हो गई है, वहीं सरकार की उत्पाद शुल्क से आय 2,10,282 करोड़ रुपये से बढ़कर 3,71,908 करोड़ रुपये हो गई है। यानी पिछले 3 साल में सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर टैक्स (एक्साइज ड्यूटी) लगाकर 8 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई की है.
महीने के बजट का सिर्फ 2.4 फीसदी ही सीधे पेट्रोल-डीजल खरीदने में खर्च होता है
2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में 4.5% घरों में कार है और 21% घरों में मोटरसाइकिल है। खपत व्यय सर्वेक्षण (2011-12) के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति अपने मासिक बजट का केवल 2.4% पेट्रोल और डीजल खरीदने पर खर्च करता है। इसलिए कुछ लोगों का दावा है कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी का आम आदमी के घरेलू बजट पर कोई सीधा असर नहीं पड़ता है.