गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा श्रीलंका अब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से कर्ज मांगेगा. इसके साथ ही श्रीलंका ने एशियाई विकास बैंक (एडीबी) और विश्व बैंक से कर्ज लेने की भी तैयारी कर ली है। आईएमएफ से इस बारे में बात करने के लिए वित्तीय विशेषज्ञों की 3 सदस्यीय सलाहकार समिति का गठन किया गया है।
सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका के पूर्व गवर्नर इंद्रजीत कुमारस्वामी को इस समिति में शामिल किया गया है। समिति को कर्ज संकट से निपटने के उपाय सुझाने को भी कहा गया है। इस बीच, एशियाई विकास बैंक ने 2022 में श्रीलंका के आर्थिक विकास में मामूली सुधार 2.5% करने का अनुमान लगाया है।
पूर्व मंत्री का आरोप- राजपक्षे परिवार ने देश को लूटा
राजपक्षे सरकार के खिलाफ देशभर में हो रहे विरोध के बीच पूर्व मंत्री और सांसद चंपिका रणवाका ने गुरुवार को कहा कि राजपक्षे परिवार ने देश को खूब लूटा है. 2004 से 2014 तक अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने 19 बिलियन अमेरिकी डॉलर का गबन किया। सरकार ने अंतरराष्ट्रीय वित्तीय बाजारों से भारी मात्रा में धन लिया था और इसे समय पर चुकाया नहीं था। इसका खामियाजा अब पूरा देश भुगत रहा है। श्रीलंका में ऐसा संकट पहली बार आया है।
राजपक्षे के इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शन
देश में राजपक्षे सरकार के खिलाफ जनता का विरोध तेज हो गया है। प्रदर्शनकारियों ने गुरुवार को गोटाबाया सरकार के मंत्री जॉनसन फर्नांडो के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। इस विरोध प्रदर्शन में महिलाएं, बच्चे और विशेष रूप से शिक्षित युवा शामिल हुए। हजारों प्रदर्शनकारी विरोध कर रहे हैं और राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के तत्काल इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि हमारे पास अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए पैसे नहीं हैं। देश में विदेशी कर्ज लगातार बढ़ता जा रहा है।
मेडिकल छात्रों ने गुरुवार को कोलंबो में स्वास्थ्य मंत्रालय के सामने प्रदर्शन किया। उन्होंने कार्यालय के मुख्य द्वार को उखाड़ दिया। इसके बाद पुलिस ने उन्हें खदेड़ दिया।
विपक्ष के आरोपों के बाद मंत्री जॉनसन फर्नांडो ने कहा है कि राष्ट्रपति किसी भी हाल में इस्तीफा नहीं देंगे. गोटाबाया सरकार बहुमत में है और देश में स्थिति को संभालने की कोशिश कर रही है।
पूर्व वित्त मंत्री बोले- कर्ज से ही सुधर सकते हैं हालात
अपनी नियुक्ति के एक दिन बाद ही वित्त मंत्री का पद छोड़ने वाले अली साबरी ने गुरुवार को संसद में सरकार को मौजूदा संकट से किसी भी कीमत पर निपटने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि सरकार को कर्ज उतारने के लिए कर्ज लेने के लिए विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) से बातचीत करनी चाहिए, ताकि देश में हालात काबू में आ सकें. उन्होंने उम्मीद जताई है कि इस तरह जुलाई तक स्थिति सामान्य हो सकती है.
भारत भेज रहा है पेट्रोल-डीजल, चावल और दवाएं
श्रीलंका के बिगड़ते हालात के बाद भारत लगातार अपने पड़ोसी देश की मदद कर रहा है. गुरुवार को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने केंद्र से चावल और जरूरी दवाओं जैसी जरूरी चीजें श्रीलंका भेजने की इजाजत मांगी। तमिलनाडु के थूथुकुडी बंदरगाह से चावल, दाल और जरूरी सामान श्रीलंका भेजा गया है। भारत अब तक श्रीलंका को 2.70 लाख मीट्रिक टन ईंधन और आवश्यक दवाएं भेज चुका है।
श्रीलंका में आर्थिक संकट की समयरेखा
श्रीलंका में पिछले एक महीने से आर्थिक संकट है। श्रीलंका में रुपए का तेजी से अवमूल्यन हो रहा है और देश 51 अरब डॉलर के कर्ज में डूबा हुआ है। आइए जानते हैं पिछले एक हफ्ते में श्रीलंका में क्या हुआ।
गोटाबाया सरकार ने 1 अप्रैल को देश में आपातकाल लगा दिया था। इसके बाद से इसका काफी विरोध हो रहा है।
आपातकाल के बीच 3 अप्रैल की रात राजपक्षे के पूरे मंत्रिमंडल ने इस्तीफा दे दिया।
5 अप्रैल को, श्रीलंका ने नॉर्वे, इराक और ऑस्ट्रेलिया में अपने दूतावासों को अस्थायी रूप से बंद कर दिया।
राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने 5 अप्रैल की आधी रात को आपातकाल समाप्त कर दिया।
गुस्साए लोगों ने पूरे देश में चीन के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया, जो जारी है।
भारत ने श्रीलंका को 5 और 6 अप्रैल को 36,000 मीट्रिक टन पेट्रोल और 40 हजार मीट्रिक टन डीजल पहुंचाया। भारत अब तक श्रीलंका को 2.70 लाख मीट्रिक टन ईंधन और आवश्यक दवाएं भेज चुका है।