कोविड की पहली और दूसरी लहर में कोरोना संक्रमित मिले मरीज भले ही कोरोना की जंग जीत गए हों, लेकिन उनकी मुश्किलें अभी कम नहीं हुई हैं. इसलिए वह अभी भी अस्पतालों के चक्कर लगा रहे हैं। मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल की पल्मोनरी मेडिसिन की ओपीडी में 50 फीसदी ऐसे मरीज मिल रहे हैं जो पूरी तरह से कोराेना से ठीक हो चुके हैं लेकिन उन्हें अभी भी फेफड़ों से संबंधित बीमारी है. इन मरीजों को सांस लेने में तकलीफ, सूखी खांसी जैसी समस्या होती है।
डॉक्टर का पहला सवाल था कोरोना?
कोविड के बाद के मरीजों में सांस संबंधी बीमारियां बनी रहती हैं। (फाइल फोटो)
कोविड के बाद के मरीजों में सांस संबंधी बीमारियां बनी रहती हैं। (फाइल फोटो)
मेडिकल कॉलेज के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष प्रो. डॉ. तारिक महमूद बताते हैं कि ओपीडी के मरीज के सामने सबसे पहला सवाल यही आता है कि कोरोना हुआ या नहीं? इसमें करीब 50 फीसदी मरीजों का जवाब हां है। यानी जिन लोगों को कोरोना हो गया है, उनकी बीमारी जड़ से खत्म नहीं हुई है. इसमें सांस फूलना, सांस लेने में तकलीफ और सूखी खांसी, एलर्जी जैसी समस्याएं बनी रहती हैं। उनका इलाज वहीं से शुरू होता है और उन्हें मास्क आदि लगाने को भी कहा जाता है.
क्या कहते हैं मरीज
30 वर्षीय अनुराधा (बदला हुआ नाम) प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही है। दूसरी लहर में यह कोरोना पॉजिटिव हो गया, हालांकि अस्पताल जाने का कोई चांस नहीं था। होम आइसोलेशन में रहकर कोरोना से उबरे। उसे अभी भी सूखी खांसी हो रही है। ठंडी चीजें खाने या पीने से सूखी खांसी शुरू हो जाती है। डॉक्टर ने कहा, ठंडी चीजों से परहेज करें, यही है उपाय। इसी तरह 55 वर्षीय ममता शिक्षिका (बदला हुआ नाम) कोरोना पॉजिटिव आई, आईसीयू में भर्ती एसआरएन की रिपोर्ट नेगेटिव आई लेकिन उसे सांस फूलने की नई बीमारी हो गई।
यह भी एक समस्या है
कोविड के बाद के अधिकांश मरीज कमजोरी और थकान के साथ-साथ कुछ सामान्य बीमारियों से भी पीड़ित हैं। इसके साथ ही पोस्ट कोविड में कुछ मरीजों को दिल की धड़कन में अनियमितता, याददाश्त में कमी, धुंधली दृष्टि जैसी समस्याएं हो रही हैं। डॉ. तारिक का कहना है कि पोस्ट कोविड मरीजों के इलाज के दौरान भी इन बातों का ध्यान रखा जाता है.