प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि सरकार देश में एमएसएमई क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए आवश्यक नीतिगत बदलाव कर रही है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र को मजबूत करने के लिए केंद्र ने पिछले आठ वर्षों में बजट में 650 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि की है। नई दिल्ली में उद्यमी भारत कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, श्री मोदी जी ने कहा कि माइक्रो, स्मॉल और मीडियम इंटरप्राइजेज (एमएसएमई) क्षेत्र भारत की अर्थव्यवस्था का लगभग एक तिहाई हिस्सा है और भारत की विकास के सफर में इसकी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि सरकार के लिए MSME का मतलब सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को अधिकतम समर्थन है और कहा कि इस क्षेत्र के लिए 50 हजार करोड़ रुपये का आत्मनिर्भर कोष जारी किया गया है। प्रधान मंत्री ने एमएसएमई को सरकार को सामान की आपूर्ति के लिए GeM पोर्टल पर पंजीकरण करने के लिए भी कहा।
सरकार ने तय किया है कि 200 करोड़ रुपये तक के ऑर्डर के लिए कोई ग्लोबल टेंडर नहीं किया जाएगा और यह एक तरह से एमएसएमई के लिए आरक्षण है। केंद्र सरकार ने आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना के तहत एमएसएमई के लिए 3.5 लाख करोड़ रुपये सुनिश्चित किए हैं और साथ ही सरकार ने लोकल उत्पादों को दुनिया भर में ले जाने का संकल्प लिया है और भारत की मेक इन इंडिया आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने के लिए कई पहल शुरू की गई हैं।
खादी के बारे में बात करते हुए, प्रधान मंत्री ने कहा कि खादी और गाँव के इडस्ट्रीज का कारोबार एक लाख करोड़ रुपये के पार कर गया है और खादी की बिक्री पिछले आठ वर्षों में चार गुना बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि बिना गारंटी के ऋण प्राप्त करने में कठिनाई समाज के कमजोर वर्गों के लिए उद्यमिता के मार्ग पर चलने में एक बड़ी बाधा थी। 2014 के बाद, सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास के माध्यम से उद्यमिता के दायरे को बढ़ाने का निर्णय लिया गया। प्रत्येक भारतीय के लिए उद्यमिता को आसान बनाने में मुद्रा योजना की महत्वपूर्ण भूमिका है। बिना गारंटी के बैंक ऋण की इस योजना ने देश में महिला उद्यमियों, दलित, पिछड़े, आदिवासी उद्यमियों का एक बड़ा वर्ग तैयार किया है। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत अब तक करीब 19 लाख करोड़ रुपये कर्ज के रूप में दिए जा चुके हैं।