सुप्रीम कोर्ट ने संस्कृत को भारत की राष्ट्रभाषा बनाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। इस बीच, हमारे देश में कोई भी भाषा देश की राष्ट्रीय भाषा नहीं है। हिंदी और अंग्रेजी आधिकारिक भाषाएं हैं। सरकारी कार्य इन्हीं भाषाओं के माध्यम से होते हैं। पीठ ने कहा कि इसके लिए संविधान संशोधन की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह नीति का मामला है और हम इसे बदल नहीं सकते।
हम आवेदन पर विचार करने से इनकार करते हैं। आवेदन खारिज किया जाता है। अदालत ने आदेश दिया कि अधिवक्ता इसे संबंधित अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत कर सकते हैं। यह जनहित याचिका सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी और वकील केजी वंजारा ने दायर की थी।
याचिका में केंद्र सरकार को संस्कृत को राष्ट्रभाषा के रूप में अधिसूचित करने का निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि इस तरह के कदम से मौजूदा संवैधानिक प्रावधानों में खलल नहीं पड़ेगा जो देश की आधिकारिक भाषाओं के रूप में अंग्रेजी और हिंदी को प्रदान करते हैं।