दिल्ली: 27 जनवरी, 2023, शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम के माध्यम से छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों के साथ बातचीत की। पीएम मोदी का खास कार्यक्रम परीक्षा पे चर्चा 2023 आज दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित किया गया। बता दें कि इस कार्यक्रम में हजारों छात्र और शिक्षक शामिल हुए। इसके अलावा देश भर के छात्र, शिक्षक और अभिभावको ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पीएम मोदी की ‘परीक्षा पे चर्चा’ देखा। इस कार्यक्रम के जरिए आज पीएम मोदी परीक्षा की तैयारी के मंत्र बताए।
पीएम मोदी ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा, ‘हर युवा मेरी परीक्षा लेता है और मुझे ये परीक्षा अच्छी लगती है।’ आगे पीएम मोदी ने कहा कि ‘माता-पिता बाहर जाते हैं और अपने बच्चों के बारे में बड़ी-बड़ी बातें करते हैं। लेकिन फिर वापस आकर अपने बच्चों से भी यही उम्मीद करते हैं। क्या हमें ऐसे में यह दबाव लेना चाहिए? क्या आप वही सुनते हैं जो आपको दिन भर बताया जाता है या आप अपने भीतर देखते हैं? क्रिकेट में स्टेडियम में लोग चौके-छक्के चिल्लाते रहते हैं, तो क्या खिलाड़ी जनता की डिमांड पर चौके-छक्के लगाता है? खिलाड़ी केवल गेंद पर ध्यान केंद्रित करता है और शोट मारता है।
पीएम मोदी ने कहा, ‘हम सबसे ज्यादा समय अपनी पसंद के विषय पर बिताते हैं और तभी तनाव बढ़ने लगता है क्योंकि कोई विषय छूट जाता है। इसलिए पहले कठिन विषयों का अभ्यास करने पर समय बिताए और फिर वैकल्पिक विषयों पर। इसी तरह नापसंद और पसंद किए जाने वाले विषयों को एक-एक करके समय दें।’ आगे पीएम ने कहा, ‘क्या आपने कभी अपनी मां को काम करते देखा है? दिन भर के हर कार्य को टाइम मैनेजमेंट करने में मा सर्वश्रेष्ठ हैं। मां के पास सबसे ज्यादा काम होता है लेकिन उनका टाइम मैनेजमेंट इतना अच्छा है कि हर काम समय पर हो जाता है।’
पीएम मोदी ने कहा कि, ‘कई शिक्षक ऐसे हैं जो ट्यूशन पढ़ाते हैं और अपने छात्रों के अच्छे अंक लाने के लिए नकल का तरीका बताते हैं। कई छात्र पढ़ाई से ज्यादा समय नकल करने की विधि खोजने में लगाते हैं, छोटी-छोटी अक्षर पर्ची बनाने में, अगर आप इसमें जितनी क्रिएटिविटी दिखाते हैं उतना ही समय पढ़ाई में लगाते हैं, तो नकल करने की कोई जरूरत नहीं है।’
पीएम ने कहा कि ‘मैं मानता हूं कि आलोचना एक संपन्न लोकतंत्र के लिए अच्छा अभ्यास है।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि विपक्ष के लोग मनोविज्ञान जानते हैं, इसलिए जानबूझकर ऐसा बनाते हैं कि हम अपना विषय छोड़कर उनका जवाब देने लगें। हमें सिर्फ अपने लक्ष्य पर ध्यान देने की जरूरत है। आलोचना एक कठिन कार्य है। ऐसे में लोग शॉर्टकट अपनाते हैं और आरोप लगाते हैं। इन दोनों में बहुत बड़ा अंतर है। हमें आरोप-प्रत्यारोप पर ध्यान नहीं देना चाहिए बल्कि आलोचना को आवश्यक समझना चाहिए। आलोचक आदतन ऐसा करते हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि गैजेट हमें गुलाम बनाते हैं, आप REELS से बाहर नहीं आते, मैं सोशियल मीडिया पे बहुत सक्रिय हूं लेकिन आपने देखा होगा कि मेरे हाथ में शायद ही कभी फोन होता है, क्योंकि मैंने उसके लिए समय तय कर रखा है। पहले के ज़माने में बच्चे खुल कर बात करते थे, अब बच्चे क्षमता खो रहे हैं। अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस गूगल से एक कदम आगे निकल रहा है, दुनिया भर की जानकारी एक चैट में पाई जा सकती है। मेरा सुझाव है कि आप दिन में कुछ घंटों के लिए डिजिटल उपवास कर सकते हैं? परिवार इतना छोटा हो गया है, सब एक ही घर में बैठकर एक-दूसरे को व्हाट्सएप पर मैसेज करते हैं, पहले लोग बस-ट्रेन में चैटिंग करते थे, अब नहीं करते। घर में एक ऐसा क्षेत्र निर्धारित करें जो नो टेक्नोलॉजी जोन हो, आप देखेंगे कि धीरे-धीरे जीने का आनंद शुरू हो जाएगा।
भारत विविधताओं से भरा देश है। हमारे पास सैकड़ों भाषाएं हैं। यह हमारी समृद्धि है। संचार एक बड़ी शक्ति है। हमें अपने किसी पड़ोसी राज्य की भाषा सीखनी चाहिए, दुनिया की सबसे पुरानी भाषा वाले देश को गर्व होना चाहिए या नहीं? क्या आप जानते हैं कि हमारी तमिल भाषा दुनिया की सबसे पुरानी भाषा है।