हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है, हर महीने दो बार प्रदोष व्रत आते हैं। पहला कृष्ण पक्ष में और दूसरा शुक्ल पक्ष में। प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है और इस दिन विधि-विधान के साथ भगवान् शिव का पूजन किया जाता है।यह व्रत प्रत्येक माह की त्रयोदशी तिथि के दिन रखा जाता है और गुरुवार के दिन पड़ने वाली त्रयोदशी को गुरु प्रदोष त्रयोदशी कहा जाता है। इस बार कब है गुरु प्रदोष व्रत और शुभ मुहूर्त।
हिंदू पंचांग के अनुसार माघ के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 2 फरवरी को शाम 4 बजकर 26 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 3 फरवरी को शाम 6 बजकर 57 मिनट पर होगा। प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल यानि सूर्यास्त के बाद की जाती है और इसलिए गुरु प्रदोष व्रत 2 फरवरी को रखा जाएगा। इस दिन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 1 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 38 मिनट तक रहेगा।
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की अराधना की जाती है और उनके साथ ही माता पार्वती का पूजन करना भी जरूरी होता है। इस दिन यदि पूरे शिव परिवार का विधि-विधान से पूजन किया जाए तो भगवान शिव अपने भक्त पर विशेष कृपा बरसाते हैं। महिलाएं प्रदोष व्रत अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखती हैं। इसके अलावा जो महिलाएं संतान प्राप्ति की कामना रखती हैं उनके लिए भी यह व्रत बहुत ही फलदायी माना गया है। इस व्रत में सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक पूजा की जाती है।