Hindi News, Latest News in Hindi, हिन्दी समाचार, Hindi Newspaper
अड्डा

विश्व जल दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय संगोष्ठी

संकल्पीत मन से ही सिद्धि प्राप्त होती है: माननीय गोविंदाचार्य जी, राष्ट्रवादी चिंतक

जल प्रवाह के साथ जीवन प्रवाह भी महत्वपूर्ण: प्रो.प्रत्यूष वत्सला जी, प्राचार्य,लक्ष्मीबाई कॉलेज,दिल्ली विश्वविद्यालय

नई दिल्ली।आज विश्व जल दिवस के अवसर पर लक्ष्मीबाई कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय में जलधारा जीवनधारा विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया । इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राष्ट्रवादी चिंतक के.एन.गोविंदाचार्य जी, आई.आई.टी एलुमनाई एसोसिएशन के चेयरमैन श्री रवि शर्मा जी, पर्यावरणविद डॉ. फैयाज खुदसर जी, पूर्व सांसद माननीय सलखान मुर्मू जी, यमुना संसद कार्यक्रम के संयोजक श्री रवि शंकर तिवारी जी व लक्ष्मीबाई कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर प्रत्यूष वत्सला ने दीप प्रज्वलन से किया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में लक्ष्मीबाई कॉलेज के संगीत विभाग द्वारा G20 पर आधारित गीत का गायन किया गया इस गीत को कॉलेज की प्राचार्य प्रोफ़ेसर प्रत्यूष वत्सला द्वारा रचित किया गया है ।

संगोष्ठी के विषय स्थापना करते हुए श्री रवि शंकर तिवारी जी ने कहा कि जल संरक्षण का हमारा अभियान मात्र सांकेतिक नहीं है ,अपितु यह वास्तविक धरातल पर यमुना के संरक्षण और संवर्धन पर केंद्रित हैं, हम सभी कार्य प्रयास है कि आने वाले 4 जून को हम 100000 की संख्या में यमुना संरक्षण के संकल्प के साथ यमुना नदी के विभिन्न किनारों पर उपस्थित होंगे,वैश्विक स्तर पर सभी देश जल संरक्षण की दिशा में प्रयास कर रहे हैं।आज आवश्यकता है भारत में भी ऐसे सतत प्रयासों को सामुदायिक स्तर पर आगे बढ़ाया जाए। आज इसी कड़ी में इस संगोष्ठी से निकले हुए विचार हम सभी को भविष्य में कार्य करने का पाथेय प्रदान करेंगे ऐसा मुझे पूर्ण विश्वास है ।

आई.आई.टी एलुमनाई एसोसिएशन के चेयरमैन श्री रवि शर्मा जी ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि नदियों की उपयोगिता मात्र जल के उपयोग तक निश्चित नहीं है,अपितु प्राकृतिक संतुलन के लिए भी इनका व्यापक महत्व है ।पूर्व सांसद माननीय साल खान मुर्मू ने जनजातीय जीवन और उससे जुड़े हुए प्राकृतिक चुनौतियों का उदाहरण देते हुए कहां थी जीवन के प्रत्येक स्तर पर जल स्रोतों के महत्वपूर्ण आवश्यकता है, आगे विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि जल स्रोतों का विलुप्त होना मानव सभ्यता के लिए एक बड़ी चुनौती है,यह वापस हमें उसी आदिम समाज में ले जाने जैसा है ।

पर्यावरणविद डॉक्टर फैयाज खुद्सर ने अपने आनुभविक अध्ययनों का उदाहरण देते हुए कहा कि हमें जल स्रोतों को विकसित करते समय सदैव इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वास्तव में वह भूमि जल स्रोत के लिए उपयोगी है या नहीं,क्योंकि इस वैज्ञानिक तथ्य को बिना समझे अगर हम जल स्रोतों का निर्माण करते हैं तो हम पृथ्वी के भार को और अपनी चुनौतियों को आगे बढ़ाते हैं। आजकल बनने वाले बहुत सारे रिवर फ्रंट इसके उदाहरण हैं।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माननीय श्री के.एन. गोविंदाचार्य जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारत की संस्कृति में जल को पवित्रता के आयाम के रूप में भी देखा जाता है। सभ्यता से उत्पन्न चुनौतियों ने जल को मात्र उपयोगी और अनुपयोगी दृष्टि से देखना प्रारंभ कर दिया,जिसका परिणाम है कि आज हमारे प्राकृतिक संसाधन और जल स्रोत अपने अस्तित्व के संकट से जूझ रहे हैं , हमें आने वाली पीढ़ी को इस तथ्य से अवगत कराना होगा कि जल की उपलब्धता का संयोजन मात्र पीने योग्य पानी से नहीं है अपितु प्रकृति के संतुलित व्यवहार के लिए भी इनका होना अत्यंत आवश्यक है ।

अपने जीवन के अनुभव का विश्लेषण करते हुए गोविंदाचार्य जी ने कहा कि सामाजिक जीवन में सामुदायिक प्रयासों से ही ऐसे प्राकृतिक उपादानों की संरक्षा की जा सकती है, हमें यह समझना होगा सरकार अपना काम करेगी और समाज को अपनी पहल को आगे लाना होगा।अगर हमने अपने कर्तव्यों को राज्य के ऊपर आश्रित कर दिया तो प्रकृति संरक्षण का हमारा संकल्प कभी पूर्ण नहीं होगा ,इसलिए हमें सामुदायिक चेतना के भाव से सतत एक कर्मयोगी की तरह प्राकृतिक उपादानों की संरक्षा करनी होगी ।

कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन करते हुए लक्ष्मीबाई कॉलेज की प्राचार्य प्रो. प्रत्यूष वत्सला ने कहा कि हम संकल्पित मन के साथ आगे बढ़ रहे हैं और हमारा लक्ष्य है अपनी धरा को सुंदर बनाना इसीलिए मैं कहती हूँ कि मात्र जलधारा ही महत्वपूर्ण नहीं है,बल्कि जीवनधारा महत्वपूर्ण है। अर्थात हमें प्रकृति के द्वारा प्रदत सभी स्रोतों का इस प्रकार से संग्रहण और संरक्षित करना होगा कि हम अपनी आने वाली पीढ़ी को उन सभी चीजों से संबद्ध कर सकें,जिसका उपयोग हमने अपने जीवन को आगे विस्तारित करने के लिए किया है ।आपके द्वारा आए हुए सभी अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए भविष्य में सतत ऐसे कार्यक्रमों से जुड़कर प्रकृति की रक्षा करने का आह्वान किया ।

कार्यक्रम का संचालन डॉ.सुनील कुमार मिश्र, असिस्टेंट प्रोफेसर समाजशास्त्र विभाग लक्ष्मीबाई कॉलेज द्वारा किया गया।
इस अवसर पर प्रमुख रूप से प्रोफेसर ममता शर्मा प्राचार्य अदिति महाविद्यालय, श्री विनय जी संस्थापक स्वास्तिक सेवा फाउंडेशन, प्रोफेसर गीता सिंह चेयरमैन ईपीडीएस, श्री राकेश त्यागी जी, श्री राजकुमार भाटिया जी ,संस्थापक रोटी बैंक सहित विभिन्न महाविद्यालयों के अध्यापक और छात्र-छात्राएं उपस्थित थे ।

Print Friendly, PDF & Email

Related posts

एनकाउंटर ब्रीफिंग का खुला पोल: ये है पुलिस की कहानी

Live Bharat Times

हीराबा का 100वां जन्मदिन : मां का आशीर्वाद लेने गुजरात आएंगे पीएम मोदी, गांधीनगर रोड को ‘पूज्य हीरा मार्ग’ के नाम से जाना जाएगा

Live Bharat Times

कश्मीर- धरती का स्वर्ग

Live Bharat Times

Leave a Comment