देश की राजधानी दिल्ली में बीते कुछ दिनों से कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में तेजी से हो रही बढ़ोतरी के बाद सीएम केजरीवाल ने शुक्रवार को अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक के बाद उन्होंने कहा कि दिल्ली में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। शुक्रवार को सीएम अरविंद केजरीवाल ने कोरोना के मुद्दे पर वरिष्ठ नौकरशाहों और विशेषज्ञों के साथ महत्वपूर्ण बैठक की और उसके तुरंत बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया और कहा कि दिल्ली के लोगों को कोरोना से डरने की जरूरत नहीं है।
दिल्ली केंद्र की सूची में नहीं
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी कहा कि कोरोना महामारी से लड़ने के लिए हमारी सरकार पूरी तरह से तैयार है। उन्होंने कहा कि हमारे पास सरकारी लैब में 4 हजार टेस्ट करने की क्षमता है। कोविड-19 से लड़ने के लिए अस्पतालों में 7,986 बेड भी तैयार हैं। इसके अलावा उन्होंने कहा कि कोरोना के मामले देश के छह राज्यों में लगातार बढ़ रहे हैं। हालाकिं दिल्ली में हालात चिंताजनक नहीं है। सीएम केजरीवाल ने आगे कहा कि केंद्र ने कोरोना को लेकर 6 राज्यों की सूची जारी की है। इस सूची में शामिल राज्यों में कोरोना के मामले सबसे ज्यादा बढ़े हैं। इस लिस्ट में देश की राजधानी दिल्ली का नाम नहीं है। दिल्ली में 15 मार्च को 42 मामले थे, जो 30 मार्च को बढ़कर 295 हो गए। हम कोरोना की स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं। हमारी सरकार समय रहते सभी स्तरों पर आवश्यक उपाय करने से नहीं हिचकेगी।
पॉजिटिविटी रेट बढ़कर 13.89 फीसदी हो गया
बता दें कि गुरुवार यानी 30 मार्च को स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कोरोना के मुद्दे पर विभाग के वरिष्ठ नौकरशाहों और डॉक्टरों के साथ आपात बैठक की थी। बैठक के बाद उन्होंने कहा कि दिल्ली के लोगों को कोरोना से घबराने की जरूरत नहीं है। इसके साथ ही यह भी कहा गया कि शुक्रवार को मुख्यमंत्री को अन्य राज्यों में कोविड की स्थिति और बढ़ते मामलों से निपटने के तरीके के बारे में भी जानकारी दी जाएगी। वहीं, दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल 31 अगस्त के बाद पहली बार दिल्ली में कोरोना के केसो की संख्या 300 के पार जाने के एक दिन बाद गुरुवार को एक आपात बैठक बुलाई गई। चिंताजनक बात यह है कि दिल्ली में बुधवार को कोरोना पॉजिटिविटी रेट बढ़कर 13.89 फीसदी हो गया। हालाकिं गुरुवार को यह नीचे आ गया था। बीते 31 अगस्त को दिल्ली में 377 मामले सामने आए थे। साथ ही दो लोगों की मौत भी हुई थी। उस वक्त पॉजिटिविटी रेट 2.58 फीसदी था।