उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश विधान परिषद में राज्यपाल द्वारा मनोनीत किये जाने वाले सदस्यों के लिए छह नाम प्रस्तावित किए गए हैं, प्रस्तावित नामों में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर के साथ-साथ प्रधानमंत्री मोदी के पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्र के पुत्र का नाम भी शामिल है। भारतीय जनता पार्टी के सूत्रों के अनुसार पार्टी प्रस्तावित नामो के जरिये प्रदेश में जातीय संतुलन साधने की कोशिश कर रही है इसके साथ ही साथ पार्टी अपनी मुस्लिम विरोधी छवि को भी दूर करने का प्रयास कर रही है।
तारिक मंसूर के जरिये जहाँ एक तरफ भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश के मुसलमान वर्ग के बीच अपनी पकड़ बनाने की पहल की है, तो वही दूसरी तरफ लालजी प्रसाद निर्मल जहाँ दलित वर्ग से आते हैं वहीँ हंसराज विश्वकर्मा और रामसूरत राजभर अन्य पिछड़ा वर्ग से आते हैं। इसके अलावा साकेत मिश्र ब्राह्मण और रजनीकांत वैश्य समाज से हैं। प्रस्तावित नामों को देखकर लगता है की पार्टी हर वर्ग के बीच पैठ बनाना चाहती है। रामसूरत राजभर ने साल 2022 का विधानसभा चुनाव आजमगढ़ जिले के फूलपुर पवई से भाजपा उम्मीदवार के तौर पर लड़ा था, लेकिन समाजवादी पार्टी के रमाकांत यादव से हार गए थे। वहीँ भाजपा द्वारा प्रस्तावित नामों की सूची अभी राज्यपाल की स्वीकृति के साथ जारी नहीं की गयी है, लेकिन प्रस्तावित सूची के नाम सोशल मीडिया पर सार्वजनिक हो गए हैं। जिसकी पुष्टि भाजपा और सरकार के सूत्रों ने भी कर दी है। उत्तर प्रदेश विधान परिषद के अधिकारियों के अनुसार, प्रदेश के राज्यपाल उत्तर प्रदेश विधानमंडल के उच्च सदन में 10 सदस्यों को मनोनीत कर सकते हैं। वर्तमान में 100 सदस्यीय उप्र विधान परिषद में भाजपा के 74 सदस्य हैं, जबकि प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के नौ, बहुजन समाज पार्टी, अपना दल (सोनेलाल), निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल (निषाद), जनसत्ता दल लोकतांत्रिक और शिक्षक दल (गैर-राजनीतिक) के एक-एक सदस्य हैं। इसके अलावा स्वतंत्र समूह और निर्दलीय के दो-दो सदस्य हैं। हाल फिलहाल विधान परिषद् में आठ सीटें खाली हैं।