अप्रैल में खुदरा महंगाई दर गिरकर 4.70 फीसदी पर आ गई है। मार्च में महंगाई दर 5.66% थी। महंगाई में गिरावट गरीबों के लिए अच्छी खबर है। महंगाई गिरने का मतलब है कि महंगाई की दर गिर रही है। ये अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे संकेत हैं। सप्लाई चेन में सुधार और कमोडिटी की कीमतों में राहत का भी फायदा मिला है।
यह लगातार तीसरा महीना है जब महंगाई दर में कमी आई है। इतना ही नहीं यह अक्टूबर 2021 के बाद से खुदरा महंगाई का सबसे निचला स्तर भी है। उस वक्त देश की खुदरा महंगाई दर 4.5 फीसदी पर पहुंच गई थी।
खाद्य कीमतों में गिरावट और बिजली और ईंधन की कीमतों में कमी के कारण खुदरा मुद्रास्फीति की दर में गिरावट आई है। सब्जियों के भाव में भी नरमी है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक बास्केट में खाद्य पदार्थों का हिस्सा लगभग आधा है।
फरवरी में महंगाई दर 6.44% थी, जो रिजर्व बैंक के टॉलरेंस लेवल (2-6%) से ज्यादा थी। वहीं, जनवरी में महंगाई दर 6.52% पर पहुंच गई। खुदरा महंगाई दर पिछले 2 महीने से आरबीआई के टॉलरेंस लेवल के भीतर बनी हुई है और ऊपरी स्तर से काफी नीचे आ गई है। नवंबर 2021 में महंगाई दर 4.91% और दिसंबर 2021 में 5.66% थी। वहीं, अप्रैल 2023 में खाद्य महंगाई दर घटकर 3.84 फीसदी पर आ गई है। मार्च में यह 4.79% थी।
आरबीआई की मौद्रिक नीति बैठक अगले महीने छह से आठ जून के बीच होगी। आरबीआई 8 जून को अपनी बैठक के फैसले की घोषणा करेगा। अगर महंगाई के मोर्चे पर सब ठीक रहा तो सस्ते कर्ज की उम्मीद की जा सकती है।