अपने अभिनय से देश ही नहीं दुनिया के लाखो दिलो पर राज करने वाले कलाकार नवाजुद्दीन सिद्दीकी को किसी पहचान की जरुरत नहीं है। अपने करियर में एक लम्बा संघर्ष करने के बाद आज नवाजुद्दीन ने फिल्म इंडस्ट्री अपनी एक अलग जगह बना ली है। हिंदी सिनेमा के बेहतरीन एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दीकी का आज जन्मदिन है। ऐसे में जानते हैं इस एक्टर के संघर्ष की कहानी।
नवाजुद्दीन सिद्दीकी का जन्म 19th मई 1974 को उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर डिस्ट्रिक्ट के एक छोटे से गाँव बुढ़ाना में हुआ था। बचपन से ही घर में आर्थिक तंगी देखते हुए इन्होने शुरुआत से ही घर से बाहर निकलने का अपना मन बना लिया था। हरिद्वार के गुरुकुल कंगरी विश्वविद्यालया से केमिस्ट्री में बीएससी की पढाई पूरी करने के बाद नवाज़ वडोदरा, गुजरात में एक कम्पनी में बतौर केमिस्ट काम करने लगे थे। लेकिन इनके अंदर का कलाकार मन अशांत था, केमिस्ट की नौकरी में इनका मन नहीं लगा और फिर नवाज़ुद्दीन ने गुजरात छोड़ दिल्ली का रुख किया। कुछ वक़्त बाद साल 1996 में इन्होने ‘नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा’ में दाखिला ले लिया। दिल्ली में इन्होने काफी वक़्त तक थियेटर किया और फिर कुछ सालों बाद मुंबई में अपनी किस्मत आजमाने का फैसला किया। मुंबई में इन्होने सालों तक रिजेक्शन झेला लेकिन इनके इरादों में कोई कमी नहीं आयी। अपन पेट पालने के लिए इन्होने वाचमैन तक की नौकरी करी।
नवाज ने अपने बॉलीवुड करियर की शुरुआत 1999 में आई आमिर खान की सुपरहिट फिल्म ‘सरफरोश’ से की, हालांकि इसमें उनका छोटा सा रोल था। इसके बाद साल 2012 तक नवाज ने कई छोटी-बड़ी फिल्मों में काम किया, लेकिन उन्हें कोई खास पहचान नहीं मिली। फिर अनुराग कश्यप इन्हे अपनी फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में फैज़ल खान का रोल दिया और फैजल के रोल ने उन्हें वो पहचान दी जिसके यह हकदार थे।
‘पीपली लाइव’, ‘कहानी’, ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’, ‘द लंच बॉक्स’ जैसी फिल्मों से नवाजुद्दीन ने खुद को इंडस्ट्री में साबित और स्थापित कर लिया। नवाजुद्दीन की कुछ बेहतरीन फिल्में जैसे कहानी, बॉम्बे टॉकीज, किक, मांझी द माउंटेनमैन, रईस, मंटो, ठाकरे, और फोटोग्राफ हैं. फिल्म लंचबॉक्स के लिये बेस्ट सपोर्टिंग ऐक्टर के पुरस्कार के साथ ही फिल्म तलाश, कहानी, गैंग्स ऑफ वासेपुर और देख इंडियन सरकस के लिये उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।