
- भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में पाकिस्तान की महिलाओं के प्रति अत्याचार का किया खुलासा।
- 1971 के ऑपरेशन सर्चलाइट में पाकिस्तानी सेना ने 4 लाख महिलाओं के साथ किया था बलात्कार।
- भारत ने कहा – पाकिस्तान झूठ बोलकर दुनिया का ध्यान भटकाता है, जबकि भारत महिलाओं को शांति मिशन में आगे बढ़ा रहा है।
नई दिल्ली, 9 अक्टूबर: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की बैठक में भारत ने पाकिस्तान पर करारा प्रहार करते हुए उसके काले इतिहास को दुनिया के सामने उजागर किया। भारत के स्थायी प्रतिनिधि पर्वथनेनी हरीश ने पाकिस्तान में महिलाओं की भयावह स्थिति का उल्लेख करते हुए कहा कि 1971 के ऑपरेशन सर्चलाइट के दौरान पाकिस्तानी सेना ने लगभग 4 लाख महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार किया था।
पाकिस्तान पर भारत का सीधा हमला
यूएनएससी में महिलाओं की सुरक्षा और शांति व्यवस्था पर चर्चा के दौरान, भारत ने पाकिस्तान को आड़े हाथों लिया।
हरीश ने कहा कि पाकिस्तान हर साल इस वैश्विक मंच का इस्तेमाल भारत के खिलाफ झूठ फैलाने के लिए करता है, विशेषकर जम्मू-कश्मीर को लेकर। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान वह देश है जो अपने ही नागरिकों पर बम बरसाता है और अपने ही लोगों का नरसंहार करता है।”
हरीश ने कहा कि पाकिस्तान की सेना ने 1971 में बांग्लादेश (तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान) में मानवता के खिलाफ अपराध किए थे, जिन्हें दुनिया अब नहीं भूल सकती।
महिलाओं के खिलाफ पाक सेना की दरिंदगी
भारत ने यूएन मंच पर 1971 के ऑपरेशन सर्चलाइट की याद दिलाते हुए कहा कि पाकिस्तानी सेना ने लाखों महिलाओं की अस्मिता लूटी और हजारों निर्दोष नागरिकों की हत्या की।
हरीश ने कहा, “दुनिया अब पाकिस्तान के झूठे प्रचार को पहचान चुकी है। यह देश बार-बार अपनी असफलताओं को छिपाने के लिए भारत पर आरोप लगाता है।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान की छवि अब एक आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले राष्ट्र के रूप में स्थापित हो चुकी है।
भारत ने दिया महिलाओं को सम्मान
भारत ने इस मौके पर अपनी महिला-सशक्तिकरण नीति को भी रेखांकित किया।
हरीश ने कहा कि भारत ने महिला शांति सैनिकों (Women Peacekeepers) को वैश्विक स्तर पर प्रोत्साहित किया है।
उन्होंने कहा कि डॉ. किरण बेदी, भारत की पहली महिला आईपीएस अधिकारी, 2003 में संयुक्त राष्ट्र पुलिस डिवीजन की पहली महिला पुलिस सलाहकार बनीं — जो भारत की प्रगतिशील सोच का प्रतीक है।
हरीश ने कहा, “अब सवाल यह नहीं है कि महिलाएं शांति मिशन में काम कर सकती हैं या नहीं, बल्कि यह है कि क्या बिना महिलाओं के शांति मिशन संभव हैं?”
भारत का स्पष्ट संदेश
भारत ने संयुक्त राष्ट्र से आग्रह किया कि वह ऐसे देशों पर कार्रवाई करे जो अपने नागरिकों के मानवाधिकारों का उल्लंघन करते हैं।
हरीश ने कहा कि भारत महिला शांति सैनिकों को ‘शांति की दूत’ मानता है, जो न केवल संघर्षों को समाप्त करती हैं बल्कि समाज के हर वर्ग तक न्याय और शांति की भावना पहुंचाती हैं।
उन्होंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर के कथन का हवाला देते हुए कहा,
“महिला शांति सैनिक केवल सुरक्षाकर्मी नहीं, बल्कि मानवता की सच्ची प्रतिनिधि हैं।”
वैश्विक मंच पर भारत की मजबूत आवाज
भारत की इस सख्त प्रतिक्रिया को अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने सराहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत ने न केवल पाकिस्तान के दोगले रवैये को उजागर किया बल्कि वैश्विक स्तर पर महिलाओं की सुरक्षा को लेकर अपनी गंभीरता भी दिखाई।
भारत की यह पहल साबित करती है कि वह मानवाधिकार और महिला सम्मान के मुद्दों पर सिर्फ बोलता नहीं, बल्कि ठोस कदम भी उठाता है।
भारत ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वह सत्य और न्याय की आवाज है।
यूएनएससी में पाकिस्तान के ऐतिहासिक अपराधों का खुलासा न केवल एक कूटनीतिक जीत है, बल्कि यह दुनिया को यह याद दिलाने का भी अवसर है कि मानवता के खिलाफ अपराध कभी नहीं भुलाए जाने चाहिए।
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