
- राष्ट्रपिता को नमन: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपनी आधिकारिक यात्रा के दौरान नई दिल्ली में राजघाट पहुंचकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की।
- विशेष सम्मान: उनकी अगवानी विदेश राज्यमंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने की, जिन्होंने पुतिन को भारतीय प्रोटोकॉल और सम्मान की परंपराओं से अवगत कराया।
- रूसी रंगों से सम्मान: पुतिन राजघाट श्रद्धांजलि में उन्होंने सबसे पहले रूसी झंडे के रंगों से सजे एक विशेष चक्र को समाधि स्थल पर चढ़ाया, जो दोनों देशों के बीच गहरे संबंध का प्रतीक था।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 5 दिसंबर: भारत की आधिकारिक यात्रा पर आए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आज नई दिल्ली में राजघाट पहुंचकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की। यह सम्मान समारोह भारत-रूस वार्षिक शिखर वार्ता के आधिकारिक कार्यक्रमों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था, जो दोनों देशों के बीच न केवल रणनीतिक बल्कि सांस्कृतिक और वैचारिक जुड़ाव को भी दर्शाता है।
राजघाट पर राष्ट्रपति पुतिन की अगवानी विदेश राज्यमंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने की। मंत्री सिंह ने पुतिन को पूरे सम्मान प्रोटोकॉल और राजघाट पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के तरीके के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
प्रोटोकॉल और सम्मान की गर्मजोशी
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के राजघाट पहुंचने पर एक शांत और गंभीर माहौल था। विदेश राज्यमंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने उन्हें गांधीजी की समाधि के महत्व और वहां की परंपराओं के बारे में बताया। यह राजनयिक अभ्यास भारत की ओर से अपने मेहमानों को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने के प्रयास को दर्शाता है।
सबसे पहले, पुतिन ने अपने देश के रंग—सफेद, नीला और लाल—से सजे एक सम्मान चक्र (Wreath) को समाधि स्थल पर चढ़ाया। उन्होंने समाधि के सामने सिर झुकाकर राष्ट्रपिता को नमन किया। इसके बाद, मंत्री सिंह द्वारा यह जानकारी दिए जाने पर कि समाधि पर गुलाब की पंखुड़ियां अर्पित करने की भी परंपरा है, पुतिन ने बड़े सम्मान के साथ गुलाब की पंखुड़ियां चढ़ाकर महात्मा गांधी को श्रद्धासुमन अर्पित किए। इस तरह, उन्होंने न केवल अपनी ओर से बल्कि रूस की ओर से भी गांधीजी के आदर्शों के प्रति सम्मान व्यक्त किया।

शांति और अहिंसा के प्रति सम्मान
पुतिन का राजघाट पहुंचना सिर्फ एक औपचारिक कदम नहीं था। यह उनके देश द्वारा महात्मा गांधी के शांति, अहिंसा और सत्य के सिद्धांतों के प्रति सम्मान को दर्शाता है। यह यात्रा ऐसे समय में हुई है जब वैश्विक समुदाय यूक्रेन संकट और अन्य तनावों का सामना कर रहा है, और ऐसे में एक विश्व नेता का शांति के प्रतीक को श्रद्धांजलि देना, कूटनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
पुतिन राजघाट श्रद्धांजलि के माध्यम से यह संदेश गया कि भले ही रूस और भारत रणनीतिक साझेदार हों, लेकिन वे साझा मानवीय मूल्यों और ऐतिहासिक विरासत का भी सम्मान करते हैं। यह दोनों देशों के बीच संबंधों को सिर्फ सरकार-से-सरकार (G2G) नहीं, बल्कि जन-से-जन (P2P) संबंधों के स्तर पर भी मजबूत करता है।
राजघाट से प्रस्थान करने से पहले, राष्ट्रपति पुतिन ने आगंतुक पुस्तिका (Visitors’ Book) में अपनी टिप्पणियां भी लिखीं। उम्मीद है कि इन टिप्पणियों में उन्होंने महात्मा गांधी के वैश्विक प्रभाव और भारत-रूस मित्रता के महत्व को रेखांकित किया होगा।
पुतिन अब औपचारिक स्वागत समारोह के लिए राष्ट्रपति भवन की ओर प्रस्थान करेंगे, जिसके बाद प्रधानमंत्री मोदी के साथ उनकी मुख्य द्विपक्षीय शिखर वार्ता हैदराबाद हाउस में होगी।
