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पेगासस मामले में आज आएगा ‘सुप्रीम’ फैसला, स्वतंत्र जांच के लिए विशेषज्ञ समिति बना सकता है सुप्रीम कोर्ट

भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ बुधवार को याचिकाओं पर आदेश पारित करेगी। इससे पहले, मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि आदेश में देरी तकनीकी समिति का हिस्सा बनने के इच्छुक व्यक्तियों की पहचान करने में कठिनाइयों के कारण हुई थी।

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सुप्रीम कोर्ट
पेगासस मामले में कोर्ट की निगरानी में स्वतंत्र जांच होगी या नहीं, इसका फैसला आज होगा। सुप्रीम कोर्ट पेगासस स्पाइवेयर मामले में अदालत की निगरानी में स्वतंत्र जांच की मांग वाली याचिकाओं पर बुधवार को अपना आदेश सुनाएगा। यह फैसला सुबह साढ़े दस बजे सुनाया जाएगा। भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ बुधवार को याचिकाओं पर आदेश पारित करेगी। इससे पहले, पीठ ने कहा था कि वह उन रिपोर्टों की जांच के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित करने पर विचार कर रही है। जिसमें सरकार पर राजनेताओं, कार्यकर्ताओं और पत्रकारों की जासूसी करने के लिए इजरायल के सॉफ्टवेयर पेगासस का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया है।

23 सितंबर को, भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि अदालत पेगासस स्पाइवेयर का उपयोग करके पत्रकारों, कार्यकर्ताओं, राजनेताओं आदि पर जासूसी करने के आरोपों की जांच के लिए एक तकनीकी समिति गठित करने पर विचार कर रही है। पेगासस स्पाइवेयर को इजरायली कंपनी एनएसओ ने विकसित किया है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि आदेश में देरी तकनीकी समिति का हिस्सा बनने के इच्छुक व्यक्तियों की पहचान करने में कठिनाइयों के कारण हुई थी। 13 सितंबर को मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने पेगासस मामले में अंतरिम आदेश सुरक्षित रख लिया था।

केंद्र ने समिति गठित करने की पेशकश की थी
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित है और इसलिए इसे न्यायिक बहस या सार्वजनिक चर्चा का विषय नहीं बनाया जा सकता। उन्होंने कहा कि सरकार हलफनामे में यह नहीं बता सकती कि उसने सुरक्षा उद्देश्यों के लिए किसी विशेष सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया है या नहीं, क्योंकि इससे आतंकी समूह अलर्ट हो सकते हैं। केंद्र ने यह पूछने के लिए स्वतंत्र विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने की पेशकश की थी कि क्या पेगासस का इस्तेमाल फोन पर जासूसी करने के लिए किया जाता है। इसने कहा था कि मामले की जांच स्वतंत्र डोमेन विशेषज्ञों की एक समिति द्वारा की जा सकती है और रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में दायर की जा सकती है।

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुई कई याचिकाएं
सरकार ने यह भी तर्क दिया था कि वह मुद्दों पर गौर करने के लिए उसके द्वारा गठित की जाने वाली एक विशेषज्ञ समिति के समक्ष निगरानी का विवरण रखने के लिए तैयार है और समिति सर्वोच्च न्यायालय को एक रिपोर्ट प्रस्तुत कर सकती है। याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने बार-बार पीठ से कहा था कि केंद्र सरकार इस सवाल का जवाब देने से बच रही है कि क्या उसने या उसकी किसी एजेंसी ने कभी पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया है। याचिकाकर्ताओं ने अदालत से सरकार को इस मुद्दे पर सफाई देने का निर्देश देने का अनुरोध किया है। इस मामले में शीर्ष अदालत में कई याचिकाएं दायर की गई हैं।

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