2007 में मदरसा बोर्ड का गठन किया गया था और पिछली राज्य सरकारों ने COBSE को पंजीकृत नहीं किया था। वारा का कहना है कि रजिस्ट्रेशन नहीं होने के कारण यहां के छात्र दूसरे राज्यों में आवेदन नहीं कर पाए.
सीएम योगी आदित्यनाथ
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार राज्य के हज़ारो मदरसा बोर्ड के छात्रों को बड़ा तोहफा देने जा रही है. जिसके तहत राज्य के मदरसा बोर्ड से पढ़ने वाले छात्र देश-विदेश में नौकरी पा सकेंगे। योगी सरकार के इस प्रयास के बाद मदरसा बोर्ड के छात्रों को सेना के साथ-साथ विदेश में भी नौकरी मिल सकती है. इससे वह देश के अन्य राज्यों में सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन कर सकेंगे।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश उर्दू एकेडेमी के अध्यक्ष कैफुल वारा ने कहा कि राज्य सरकार नए साल में उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद से पढ़ने वाले छात्रों को एक बड़ा तोहफा देने जा रही है और राज्य सरकार का यह फैसला राज्य के हज़ारो मदरसा छात्रों को रोज़गार देगा। उन्होंने कहा कि राज्य के लगभग 17,000 मदरसों में पढ़ने वाले छात्र सेना सहित विभिन्न सेवाओं में सरकारी नौकरी पाने में सक्षम होंगे और वे विदेशों में उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश ले सकेंगे। जबकि अभी तक यूपी के मदरसा छात्रों को यह सुविधा नहीं मिल पाई थी.
कोबसे में मदरसा बोर्ड का होगा रजिस्ट्रेशन
वारा ने कहा कि पिछली सरकारों की उपेक्षा के कारण यूपी मदरसा बोर्ड COBSE में पंजीकरण नहीं करा सका और इस वजह से मदरसा के छात्र राज्य के बाहर नौकरियों के लिए आवेदन नहीं कर पा रहे हैं. लेकिन अब जल्द ही मदरसा के छात्रों की डिग्री को विदेशों में मान्यता दी जाएगी। ‘हिंदुस्तान’ में छपी खबर के मुताबिक उन्होंने कहा कि यूपी मदरसा बोर्ड का रजिस्ट्रेशन अब बोर्ड ऑफ स्कूल एड्युकेशन ऑफ इंडिया (COBSE) से होगा. इसके बाद मदरसा बोर्ड के छात्रों के लिए सेना के साथ-साथ केंद्र और अन्य राज्य सरकारों में नौकरी के दरवाजे खुल जाएंगे और वे सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन कर सकेंगे। इसके साथ ही रजिस्ट्रेशन के बाद मदरसा बोर्ड को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिल सकेगी और यूपी के मदरसा के छात्र विदेश में भी पढ़ाई कर सकेंगे.
2007 में गठित बोर्ड
दरअसल 2007 में मदरसा बोर्ड का गठन हुआ था और राज्य की पिछली सरकारों ने COBSE का रजिस्ट्रेशन नहीं कराया था. वारा का कहना है कि पंजीकरण न होने के कारण यहां के छात्र दूसरे राज्यों में आवेदन नहीं कर पाए और पिछली सरकारों ने वोट की राजनीति की, मुसलमानों के कल्याण के लिए कुछ नहीं किया.