
विजया एकादशी का व्रत शत्रुओं पर विजय दिलाने वाला है। कहते हैं इस व्रत का महत्व स्वयं भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया था, जिसके बाद महाभारत के युद्ध में पांडवों की जीत हुई थी.
जानिए कब है एकादशी
एकादशी व्रत हर महीने में दो बार मनाया जाता है। हर एकादशी को अलग-अलग नाम से जाना जाता है और हर एकादशी का महत्व भी अलग-अलग बताया गया है. फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि यह एकादशी शत्रुओं पर विजय दिलाने वाली है और इस व्रत को रखने से एकादशी का तीन गुना फल मिलता है. इसे रखने से सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। विजया एकादशी व्रत कथा के अनुसार लंकापति रावण पर विजय प्राप्त करने से पूर्व श्री राम ने स्वयं विजया एकादशी का व्रत रखा था। वहीं भगवान कृष्ण ने द्वापर युग में इस व्रत की महिमा धर्मराज युधिष्ठिर को बताई थी, जिसके बाद युधिष्ठिर ने यह व्रत रखा. इसके बाद पांडवों ने महाभारत का युद्ध जीत लिया।
इस बार विजया एकादशी का व्रत 27 फरवरी को रखा जाएगा. अगर आप भी यह व्रत रखने जा रहे हैं तो पूजा के दौरान विजया एकादशी का व्रत कथा अवश्य पढ़ें. जिससे आपका उद्देश्य सफल हो सके।

यह है उपवास की कहानी
एक बार द्वापरयुग में धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से फाल्गुन एकादशी के व्रत के महत्व के बारे में पूछा। तब श्रीकृष्ण ने उन्हें बताया कि भगवान ब्रह्मा ने सबसे पहले नारद को विजया एकादशी व्रत के बारे में बताया था, जिसके बाद श्री राम ने त्रेतायुग में यह व्रत रखा। इसकी कथा भी भगवान श्रीराम से जुड़ी है।
पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान श्री राम सीता के हरण के बाद रावण से लड़ने के लिए सुग्रीव की सेना के साथ लंका के लिए रवाना हुए, तो लंका के सामने विशाल समुद्र को पार करना बहुत मुश्किल था। श्री राम मानव अवतार में थे, इसलिए वे कोई चमत्कार नहीं करना चाहते थे, बल्कि आम इंसानों की तरह इस समस्या को हल करना चाहते थे।
इसी बीच श्रीराम ने अपने भाई लक्ष्मण से समुद्र पार करने का तरीका पूछा, तो उन्होंने कहा कि हे प्रभु, यद्यपि आप सर्वज्ञ हैं, लेकिन फिर भी आप मुझसे इसके बारे में जानना चाहते हैं, तो यहां से आधा योजन की दूरी पर वाकदलभ्य मुनिवर निवास करते हैं। हम उनके पास जाएंगे तो कोई न कोई समाधान जरूर निकलेगा।
इसके बाद भगवान श्री राम मुनिवर पहुंचे और उन्हें प्रणाम करके अपनी समस्या उनके सामने रखी। तब ऋषि ने उन्हें बताया कि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी कहते हैं। यदि आप पूरी सेना के साथ यह व्रत रखते हैं तो आप न केवल समुद्र को पार करेंगे, बल्कि लंका पर भी विजय प्राप्त करेंगे।
इसके बाद जब विजया एकादशी का दिन आया तो श्रीराम और उनकी सेना ने ऋषि के निर्देशानुसार यह व्रत रखा। इसके बाद उन सभी ने रामसेतु बनाकर समुद्र पार किया और लंकापति रावण को हराकर युद्ध जीत लिया।
