

हमारे देश में होली का त्यौहार बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। हर वर्ष फागुन के महीने में होली का त्यौहार आता है और लोगो को साल भर इस पर्व का इंतज़ार रहता है। प्रेम और एकता का प्रतीक होली का पर्व भारत में हर कोने में बड़ी धूमधान के साथ मनाया जाता है। लेकिन सबसे अलग और अनूठी ब्रज की होली की बात ही अलग होती है और इसमें भी बरसाना की लट्ठमार होली विश्वप्रसिद्ध है जिसे देखने के लिए विश्व के कोने कोने से लोग बरसाना गाँव पहुंचते हैं और होली के इस त्यौहार में शरीक होते हैं। लट्ठमार होली का त्योहार होली से कुछ दिन पहले मनाया जाता है और इस बार होली 8 मार्च को मनाई जाएगी। वहीँ बरसाना की लट्ठमार होली हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन मनाई जाती है और इस साल यह तिथि 28 फरवरी को पड़ रही है। यानि बरसाना में लट्ठमार होली 28 फरवरी को मनाई जाएगी।
बरसाना गांव में खेली जाने वाली लट्ठमार होली भगवान श्रीकृष्ण के काल से ही चली आ रही है। बरसान राधा रानी की जन्मभूमि है और पौराणिक कथाओं के अनुसार नंदगांव से भगवान श्रीकृष्ण अपने ग्वालों के साथ बरसाना में होली खेलने आते थे। इस परंपरा को आज भी इसी तरह निभाया जा रहा है। लट्ठमार होली के लिए महिलाएं पुरुषों पर लट्ठ बरसाती हैं और पुरुष अपना बचाव करते हैं। लट्ठमार होली के लिए एक दिन पहले नंदगांव में फाग आमंत्रण भेजा जाता है, जो कि इस बार 27 फरवरी को भेजा जाएगा। इसके बाद नंदगांव के पांडा उस फाग आमंत्रण को स्वीकार करने का संदेश भेजते हैं। आमंत्रण के अगले दिन लट्ठमार होली खेली जाती है जो कि इस साल 28 फरवरी को है।
