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गुरुग्राम डॉग अटैक: महिला पर हस्की का हमला, वीडियो वायरल होते ही सड़क से संसद तक छिड़ी बहस

  • गुरुग्राम के गोल्फ कोर्स रोड पर एक महिला पर पालतू हस्की कुत्ते ने हमला किया।
  • घटना का सीसीटीवी वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर डॉग ओनर्स की लापरवाही पर तीखी प्रतिक्रिया।
  • इस घटना ने सार्वजनिक सुरक्षा और पालतू जानवरों के प्रति जिम्मेदारी जैसे गंभीर विषयों पर बहस छेड़ दी है।

नई दिल्ली, 31 जुलाई, 2025: गुड़गांव के पॉश इलाके गोल्फ कोर्स रोड पर हाल ही में घटित एक विचलित कर देने वाली घटना ने देशभर में सोशल मीडिया और समाचार चैनलों पर तीखी बहस छेड़ दी है। एक महिला पर पालतू सिबेरियन हस्की कुत्ते द्वारा हमला किए जाने की घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई, और जब वीडियो वायरल हुई, तो यह सिर्फ एक व्यक्तिगत दुर्घटना न रहकर समाज में पालतू जानवरों को लेकर बढ़ती असंवेदनशीलता और प्रशासनिक शिथिलता की गवाही बन गई। इस घटना ने पालतू पशुओं की सार्वजनिक सुरक्षा, कानूनी जिम्मेदारी और नागरिक उत्तरदायित्व जैसे महत्वपूर्ण विषयों को एक बार फिर से विमर्श के केंद्र में ला खड़ा किया है।

वायरल वीडियो और समाज का आक्रोश

यह घटना दोपहर के समय की है जब एक महिला अपनी सामान्य दिनचर्या के तहत फुटपाथ पर चल रही थी। उसी समय एक व्यक्ति अपने पालतू हस्की को पट्टे पर लेकर टहला रहा था। हालांकि कुत्ता पट्टे से बंधा था, पर उसकी आक्रामकता पर नियंत्रण नहीं था। वीडियो में स्पष्ट दिखाई देता है कि अचानक कुत्ता महिला की ओर झपटता है, उसे हाथ में काटता है और उसे सड़क पर गिरा देता है। महिला खुद को छुड़ाने की भरसक कोशिश करती है, लेकिन जब तक आसपास के लोग मदद के लिए आते, तब तक वह बुरी तरह घायल हो चुकी थी।

यह वीडियो कुछ ही घंटों में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लाखों बार देखा गया। “हस्की अटैक” और “गुरुग्राम पेट सेफ्टी” जैसे हैशटैग्स ट्रेंड करने लगे। अनेक यूज़र्स ने इस घटना को हस्की नस्ल की हिंसक प्रवृत्ति से जोड़ा, तो कुछ ने इसके लिए सीधे मालिक की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया। दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में रहने वाले कई नागरिकों ने साझा किया कि ऐसे बड़े और सशक्त कुत्तों को बिना प्रशिक्षण और सुरक्षा प्रबंध के सार्वजनिक स्थानों पर लाना एक खतरनाक चलन बन चुका है।

जागरूकता की कमी: पालतू प्रेम बनाम जिम्मेदारी

भारत में पालतू जानवर पालने का चलन बीते एक दशक में तेजी से बढ़ा है, खासकर शहरी मध्यम और उच्चवर्गीय परिवारों में। लेकिन इस प्रवृत्ति के साथ पालतू जानवरों की नस्ल, स्वभाव, जिम्मेदारी और प्रशिक्षण को लेकर अपेक्षित जागरूकता का अभाव है। सिबेरियन हस्की जैसे कुत्ते अत्यधिक ऊर्जावान, ठंडे वातावरण में पनपने वाले और कभी-कभी प्रभुत्व दिखाने वाले जानवर होते हैं। उनका पालन भारत जैसे गर्म देश में एक विशिष्ट अनुशासन, मानसिक तैयारी और स्थान की मांग करता है। केवल दिखावे या विदेशी नस्लों की चाह में इन्हें पालना, बिना पूरी जानकारी और प्रशिक्षण के, न केवल जानवर के लिए बल्कि आम नागरिकों के लिए भी खतरनाक बन सकता है।

कानूनी ढांचा और प्रशासनिक शिथिलता

वर्तमान में भारत में पालतू कुत्तों को लेकर कोई स्पष्ट और कड़ाई से लागू होने वाला राष्ट्रीय कानून नहीं है जो ऐसे मामलों में अपराध और दंड की प्रक्रिया तय कर सके। नगरपालिका स्तर पर कुछ दिशानिर्देश जरूर हैं—जैसे कुत्ते को पट्टे पर रखना, सार्वजनिक स्थान पर माउथ गार्ड लगाना, लेकिन इनका पालन शायद ही होता है। कानून विशेषज्ञों के अनुसार, इस प्रकार की घटनाओं में मालिक पर भारतीय दंड संहिता, 2023 के तहत धारा 277 (लापरवाही से सार्वजनिक स्थल पर खतरा पैदा करना) या धारा 129 (सार्वजनिक स्थलों की असुरक्षा) जैसी धाराएं लग सकती हैं। परंतु इन धाराओं का प्रवर्तन तभी संभव होता है जब पीड़ित शिकायत दर्ज कराए और पुलिस सक्रियता दिखाए।

यह घटना प्रशासनिक चेतना को भी ललकारती है। क्या किसी हाउसिंग सोसायटी, नगर निगम, या RWA के पास पालतू जानवरों की नस्ल, संख्या और उनकी स्थिति की रजिस्ट्री है? क्या कोई प्रशिक्षण अनिवार्य है? अधिकतर मामलों में उत्तर ‘नहीं’ है। समाज को यह समझने की ज़रूरत है कि पशु अधिकारों की रक्षा तभी टिकाऊ है जब वह मानव अधिकारों और सार्वजनिक सुरक्षा के साथ संतुलन में हो।

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