
- कई दिनों से चली आ रही आंतरिक खींचतान और सीट-बंटवारे को लेकर चल रहे मतभेदों के बाद, महागठबंधन ने आखिरकार गुरुवार को राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव को गठबंधन का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार (CM Face) घोषित कर दिया है।
- इस घोषणा के साथ ही, विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के प्रमुख मुकेश सहनी को उपमुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने पर भी सहमति बनी, जिससे गठबंधन के भीतर एकता और राहत का माहौल बना है।
- कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने इस समझौते में मध्यस्थता की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और तेजस्वी यादव का समर्थन करते हुए युवा नेतृत्व के तहत एनडीए को चुनौती देने का बिगुल फूंका।
पटना, 23 अक्टूबर: महागठबंधन की बहुप्रतीक्षित प्रेस कॉन्फ्रेंस, जो पहले सुबह 11 बजे होने वाली थी, अंतिम क्षणों की महत्वपूर्ण बातचीत के कारण विलंबित हुई। इस देरी का मुख्य कारण मुकेश सहनी की उपमुख्यमंत्री पद की मांग थी। सहनी, जिनकी मल्लाह, सहनी और निषाद समुदायों में मजबूत पकड़ है, ने शुरू में 24 सीटों की मांग की थी, लेकिन लंबी बातचीत के बाद वह 15 सीटों पर सहमत हुए। इसके अलावा, उन्हें दो विधान परिषद और एक राज्यसभा सीट का वादा भी किया गया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि महागठबंधन ने सहनी को अपने साथ बनाए रखने के लिए यह रणनीतिक समझौता किया, क्योंकि उनके इनकार से गठबंधन के चुनावी समीकरण बुरी तरह प्रभावित हो सकते थे। सहनी को शीर्ष पद पर समायोजित करने का निर्णय, गठबंधन के सामाजिक आधार को मजबूत करने और जातिगत संतुलन साधने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
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तेजस्वी की युवा नेतृत्व पर मुहर, कांग्रेस का समर्थन
तेजस्वी यादव को सीएम उम्मीदवार घोषित किए जाने के साथ ही, कांग्रेस पार्टी ने भी गठबंधन के प्रति अपनी राजनीतिक परिपक्वता का प्रदर्शन किया। कांग्रेस नेता अशोक गहलोत, जो गठबंधन के मतभेदों को सुलझाने के लिए बिहार आए थे, ने तेजस्वी यादव को युवा जोश और जनता के प्रति प्रतिबद्धता के कारण चुना गया नेता बताया। गहलोत ने स्पष्ट किया कि महागठबंधन अब एकजुट मोर्चे के रूप में आगामी विधानसभा चुनावों में एनडीए को टक्कर देगा, जिससे गठबंधन की एकता को लेकर चल रही सभी अटकलें समाप्त हो गईं।
तेजस्वी यादव की उम्मीदवारी, राष्ट्रीय जनता दल के पारंपरिक एम-वाई (मुस्लिम-यादव) समीकरण के साथ-साथ युवा मतदाताओं को आकर्षित करने पर केंद्रित है, जबकि मुकेश सहनी का शामिल होना अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC) और निषाद समुदायों के बीच गठबंधन की पहुंच को व्यापक बनाएगा।
सामाजिक और राजनीतिक संतुलन का समीकरण
महागठबंधन के इस नए नेतृत्व का फैसला सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि सामाजिक संतुलन का भी एक उदाहरण है। तेजस्वी यादव (यादव) और मुकेश सहनी (निषाद) को आगे लाकर, गठबंधन ने बिहार की राजनीति में पिछड़े और अति-पिछड़े वर्गों को मजबूत प्रतिनिधित्व देने का संदेश दिया है। यह कदम नीतीश कुमार की ईबीसी वोट बैंक में सेंध लगाने की रणनीति का हिस्सा भी माना जा रहा है।
गठबंधन ने अब मतदाताओं के सामने एक ठोस और संतुलित नेतृत्व टीम पेश की है, जिसमें तेजस्वी यादव सीएम पद के उम्मीदवार के रूप में नेतृत्व करेंगे, और मुकेश सहनी उपमुख्यमंत्री के रूप में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। अब यह देखना बाकी है कि महागठबंधन का यह एकजुट चेहरा और संतुलित समीकरण आगामी 11 नवंबर (दूसरे चरण) के मतदान सहित पूरे चुनाव में एनडीए के ‘डबल इंजन’ के मुकाबले कितना सफल हो पाता है। इस सहमति से महागठबंधन ने चुनावी दौड़ में अपनी स्थिति को काफी मजबूत किया है।
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