लोकतंत्र समर्थक भिक्षुओं के गांव को म्यांमार की सेना ने पिछले साल 2021 में आग के हवाले कर दिया था। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस गांव के लोग सेना विरोधी और लोकतंत्र समर्थक हैं। जवाबी कार्रवाई में सेना ने बिन सहित लगभग 100 गांवों और कस्बों को आग के हवाले कर दिया। विरोध को दबाने के लिए सैन्य जुंटा के 100 सैनिकों ने 5,500 से अधिक आबादी वाले बिन गांव में आग लगा दी। इससे शहर का एक बड़ा इलाका तबाह हो गया।
आग के बाद बचे तबाही के अवशेष
आग के कारण कस्बे में स्वर्ण स्तूपों के पास केवल विनाश के अवशेष बचे हैं। सेना के कहर की तस्वीर एक पत्रकार ने फरवरी में अपने कैमरे में कैद कर ली थी। अमेरिका इसे अब तक का सबसे बड़ा नरसंहार मान रहा है। उल्लेखनीय है कि जूना सेना ने फरवरी 2021 में नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता आंग सान सू की की सरकार को उखाड़ कर सत्ता हथिया ली थी।
इस साल अब तक सागाईंग और मैगवे प्रांतों से 52 हजार से ज्यादा लोग पलायन कर चुके हैं।
2017 में सेना ने हजारों रोहिंग्याओं के घर जलाए, उन्हें देश छोड़कर भागना पड़ा.
पिछले साल 26 लेखकों को जुंटा शासन ने जेल में डाल दिया था। उन्हें लोकतंत्र समर्थक माना जाता है।
