
पीएम मोदी ने आज सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों और मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन को संबोधित किया. इसमें सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, केंद्रीय कानून मंत्री और सभी 25 उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश भी मौजूद थे. कार्यक्रम का आयोजन नई दिल्ली के विज्ञान भवन में किया गया। इससे पहले यह इवेंट 2016 में हुआ था।
इस दौरान पीएम ने कहा- हमें कोर्ट में स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देने की जरूरत है. इससे देश के आम नागरिकों का न्याय व्यवस्था में विश्वास बढ़ेगा, वे इससे जुड़ाव महसूस करेंगे। देश में साढ़े तीन लाख कैदी विचाराधीन हैं, उनकी समस्या के समाधान पर जोर दिया जाए। मैं सभी मुख्यमंत्रियों और हाईकोर्ट के जजों से अपील करता हूं कि इस पर ध्यान दें.
CJI ने कहा- कोर्ट में अपेक्षित गरिमा और आभा होनी चाहिए
इससे पहले सीजेआई एनवी रमना ने कहा- न्याय का मंदिर होने के नाते कोर्ट को लोगों का स्वागत करना चाहिए, कोर्ट को अपेक्षित गरिमा और आभा होनी चाहिए. जनहित याचिका का उपयोग अब निजी हित के लिए किया जा रहा है। यह अधिकारियों को डराने-धमकाने का जरिया बन गया है। जनहित याचिका राजनीतिक और कॉरपोरेट विरोधियों के खिलाफ एक हथियार बन गई है।
संविधान के संरक्षक के रूप में न्यायपालिका की भूमिका
स्वतंत्रता के इन 75 वर्षों ने न्यायपालिका और कार्यपालिका दोनों की भूमिकाओं और उत्तरदायित्वों को लगातार स्पष्ट किया है। देश को जरूरत पड़ने पर दिशा देने के लिए यह रिश्ता लगातार विकसित हुआ है। हम देश में जजों की संख्या को पूरा करने की दिशा में लगातार काम कर रहे हैं।
हमारे देश में जहां न्यायपालिका की भूमिका संविधान के संरक्षक की है, वहीं विधायिका नागरिकों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करती है। मुझे विश्वास है कि संविधान के इन दोनों वर्गों का यह संगम और संतुलन देश में प्रभावी और समयबद्ध न्यायिक व्यवस्था का रोडमैप तैयार करेगा।
यह सरकार और न्यायपालिका के बीच संवाद का एक अनूठा अवसर है।
कार्यक्रम की शुरुआत में केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजुजू ने कहा- यह कार्यक्रम सरकार और न्यायपालिका के बीच ईमानदार और रचनात्मक संवाद का अनूठा अवसर है. इससे लोगों को ठोस न्याय दिलाने में मदद मिलेगी।
