
हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गायत्री का अवतार माना जाता है। इस दिन को गायत्री जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस बार गायत्री जयंती का पर्व 9 जून, गुरुवार को है। हिंदू धर्म में गायत्री को वेदमाता कहा जाता है। यानी सभी वेद इन्हीं से बने हैं। मां गायत्री को भारतीय संस्कृति की जननी भी कहा जाता है।
अथर्ववेद में बताया गया है कि गायत्री माता से जीवन, जीवन, प्रजा, पशु, यश, धन और ब्रह्मवर्च की प्राप्ति होती है। विधि-विधान से की गई गायत्री पूजा रक्षा का कवच बनाती है। जो संकट के समय उसकी रक्षा करता है। गायत्री की पूजा करने वालों की मनोकामना पूरी होती है।
पांच तत्वों की देवी हैं मां गायत्री
हिंदू धर्म में गायत्री को पंचमुखी माना जाता है। अर्थात यह पूरा ब्रह्मांड जल, वायु, पृथ्वी, प्रकाश और आकाश पांच तत्वों से बना है। संसार के जितने भी प्राणी हैं, उनके शरीर भी इन्हीं पांच तत्वों से बने हैं। गायत्री पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक जीव के भीतर जीवन शक्ति के रूप में है। यही कारण है कि गायत्री को सभी शक्तियों का आधार माना जाता है। इसलिए गायत्री पूजा अवश्य करनी चाहिए।
गायत्री मंत्र का जाप करते समय ध्यान रखने योग्य बातें
1. गायत्री मंत्र के जाप के लिए सुबह का समय सबसे अच्छा माना जाता है। गायत्री मंत्र के लिए स्नान के साथ-साथ मन और आचरण को भी शुद्ध रखना होता है।
2. स्वच्छ और सूती कपड़े पहनकर गद्दी या कंबल बिछाकर मंत्र जाप करने का विधान है।
3. मंत्र जाप के लिए तुलसी या चंदन की माला का प्रयोग करना चाहिए। इस मंत्र का जाप किसी भी समय किया जा सकता है।
4. शौच या अचानक काम के कारण जप में रुकावट हो तो हाथ-पैर धोकर पुन: जाप करें। मंत्रों के जप की शेष संख्या को थोड़ा-थोड़ा करके पूरा करें। साथ ही एक से अधिक माला जप कर विघ्न दोष का शमन करें।
5. गायत्री मंत्र का जाप करने वाले का खान-पान शुद्ध होना चाहिए। लेकिन जिन लोगों के पास सात्विक खान-पान नहीं है, वे गायत्री मंत्र का जाप भी कर सकते हैं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस मंत्र के प्रभाव से ऐसा व्यक्ति भी पवित्र और गुणवान बनता है।
