

समालखा, 23नवंबर, 2022। ‘‘स्वयं को शांति एवं प्रेम का स्वरूप बनाते हुए पूरे संसार में इन दिव्य भावों को फैलाते जाए।’’ ये उद्गार निरंकारी सत्गुरु माता सुदीक्षा महाराज ने 75वें वार्षिक निरंकारी संत समागम के समापन सत्र में देश विदेशों से लाखों की संख्या में सम्मिलित हुए अनुयाइयों को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए।
माता सुदीक्षा महाराज के आशीर्वचनों द्वारा प्रेम, शांति एवं मानवता का दिव्य संदेश प्रसारित करने वाले इस पंचदिवसीय समागम का आज सफलतापूर्वक समापन हुआ।
शांति एवं अमन के संदेश की महत्ता को समझाते हुए माता सुदीक्षा ने कहा कि यह संदेश दूसरों को देने सेे पहले हमें स्वयं अपने जीवन में धारण करना होगा। किसी के प्रति मन में वैर, ईर्ष्या का भाव न रखते हुए सबके प्रति सहनशीलता एवं नम्रता जैसे गुणों को अपनाते हुए सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत बनना होगा।
गांधी ग्लोबल फैमिली द्वारा दिए गए विश्व शांतिदूत सम्मान के प्रति अपने भाव प्रकट करते हुए माता सुदीक्षा ने कहा कि यह उपलब्धि इन संतों की ही देन है जो इस एक प्रभु को जानकर एकत्व के सूत्र में बंध गए हैं। जब तक हम इस परमात्मा की पहचान से अनभिज्ञ थें तब तक हम सभी एक दूसरे से अलग अलग थे। किन्तु ब्रह्मज्ञान के द्वारा जब हमें यह बोध हुआ कि हम सभी इस परमपिता की ही सन्तान है, इसी का ही अंश है, तब हमारे हृदय में परोपकार के दिव्य गुणों का समावेश हो गया। संसार में मिशन की शांति एवं एकत्व की पावन छवि बनी हुई है इसमें मिशन के हर एक संत का बहुमूल्य योगदान है।
इसके पूर्व समागम समिति के समन्वयक एवं सन्त निरंकारी मण्डल के सचिव जोगिंदर सुखीजा ने माता सुदीक्षा महाराज एवं निरंकारी राजपिता रमित जी का हृदय से आभार प्रकट किया जिनकी असीम कृपा से समागम संपन्न हुआ। इसके साथ ही सभी सरकारी विभागों एवं प्रशासन का हार्दिक धन्यवाद किया जिन्होंने समागम को सफल बनाने में अपना भरपूर योगदान दिया।
समागम के इतिहास को प्रदर्शित करने वाली दृकश्राव्य डॉक्युमेंटरी समागम के अवसर पर तीन भागों में श्रद्धालुूओं को दिखाई गई। इस डॉक्युमेंटरी द्वारा समागम के 75 वर्षों के गौरवपूर्ण इतिहास पर प्रकाश डाला गया और यह दर्शाया गया कि समागमों का प्रारूप प्रारंभ में कैसा था और वर्तमान में इसका विस्तारण किस प्रकार हुआ है। साथ ही मिशन के पूर्व गुरुओं एवं सन्तों ने जो अमूल्य योगदान दिया है उसे भी इस डॉक्युमेंटरी के माध्यम से दर्शाया गया जिसे देखकर वहां उपस्थित सभी श्रद्धालु भक्त अत्यधिक प्रभावित हुए।
