
- वर्ष 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो को लोकतंत्र के लिए उनके अथक संघर्ष के लिए दिया गया है।
- इस घोषणा के साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नोबेल पुरस्कार जीतने की उम्मीदों को करारा झटका लगा है, जो खुद को इसका प्रबल दावेदार मानते थे।
- पुरस्कार जीतने के बाद मचाडो ने इसे वेनेजुएला के ‘पीड़ित लोगों’ और उनके ‘निर्णायक समर्थन’ के लिए राष्ट्रपति ट्रंप को समर्पित किया है।
कराकस, 11 अक्टूबर: नॉर्वेजियन नोबेल समिति ने शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025 को वेनेजुएला की प्रमुख विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो को नोबेल शांति पुरस्कार 2025 से सम्मानित करने की घोषणा की। मचाडो को यह प्रतिष्ठित पुरस्कार वेनेजुएला के लोगों के लिए लोकतांत्रिक अधिकारों को बढ़ावा देने और तानाशाही से लोकतंत्र में न्यायसंगत एवं शांतिपूर्ण परिवर्तन प्राप्त करने के उनके अथक संघर्ष के लिए प्रदान किया गया है। नोबेल समिति ने उन्हें लैटिन अमेरिका में नागरिक साहस के असाधारण उदाहरणों में से एक बताया।
पिछले कई दशकों से, मचाडो वेनेजुएला के सत्तावादी राष्ट्रपति निकोलस मादुरो के दमनकारी शासन का मुखर विरोध कर रही हैं। धमकियों, गिरफ्तारियों, यात्रा प्रतिबंधों और राजनीतिक उत्पीड़न का सामना करने के बावजूद, वह अपने देश में ही रहीं और शांतिपूर्ण प्रतिरोध के माध्यम से लाखों लोगों को प्रेरित करती रहीं।
नोबेल समिति ने कहा कि मचाडो ने “दिखाया है कि लोकतंत्र के उपकरण शांति के भी उपकरण हैं” और वह “एक अलग भविष्य की उम्मीद का प्रतीक हैं, जहां नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा की जाती है और उनकी आवाज़ सुनी जाती है।” 58 वर्षीय मचाडो को वेनेजुएला की ‘आयरन लेडी’ के नाम से भी जाना जाता है।
इसे भी पढ़ें: कन्नड़ बैन पर रश्मिका मंदाना ने तोड़ी चुप्पी: ‘बाहरी दुनिया नहीं जानती सच्चाई’
ट्रंप का टूटा नोबेल सपना
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जो लंबे समय से खुद को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए सबसे बड़ा दावेदार बता रहे थे, उन्हें इस घोषणा से बड़ा झटका लगा है। ट्रंप ने कई बार यह दावा किया था कि उन्होंने कई युद्धों को टालने और वैश्विक स्तर पर शांति कायम करने के लिए जो प्रयास किए हैं, उसके लिए उन्हें यह सम्मान मिलना चाहिए।
ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार न मिलने पर व्हाइट हाउस की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। व्हाइट हाउस ने बयान जारी कर कहा कि नोबेल समिति ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वे “शांति के बजाय राजनीति को महत्व देते हैं।
” व्हाइट हाउस ने जोर देकर कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप दुनिया भर में शांति समझौते करना, युद्ध समाप्त करना और लोगों की जान बचाना जारी रखेंगे। व्हाइट हाउस की यह प्रतिक्रिया उस समय आई है, जब वेनेजुएला की नेता को पुरस्कार दिए जाने की अटकलें लंबे समय से लगाई जा रही थीं। ट्रंप के राजनीतिक सहयोगियों ने भी उनकी दावेदारी को मजबूती से पेश किया था।
मचाडो ने ट्रंप को समर्पित किया पुरस्कार
नोबेल शांति पुरस्कार जीतने के बाद मारिया कोरिना मचाडो ने अपनी पहली प्रतिक्रिया में दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा। उन्होंने अपने ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर पोस्ट करते हुए इस पुरस्कार को वेनेजुएला के ‘पीड़ित लोगों’ के साथ-साथ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भी समर्पित किया।
मचाडो ने लिखा, “वेनेजुएला के लोगों के संघर्ष की यह अपार पहचान हमारे कार्य को पूरा करने के लिए एक प्रोत्साहन है: स्वतंत्रता को जीतना। हम विजय की दहलीज पर हैं और आज पहले से कहीं अधिक, हम स्वतंत्रता और लोकतंत्र हासिल करने के लिए राष्ट्रपति ट्रंप, संयुक्त राज्य अमेरिका के लोगों, लैटिन अमेरिका के लोगों और दुनिया के लोकतांत्रिक राष्ट्रों को अपने मुख्य सहयोगियों के रूप में गिनते हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “मैं यह पुरस्कार वेनेजुएला के पीड़ित लोगों और हमारे उद्देश्य के प्रति उनके निर्णायक समर्थन के लिए राष्ट्रपति ट्रंप को समर्पित करती हूँ!”
ट्रंप ने भी मचाडो की इस पोस्ट को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर साझा किया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि दोनों के बीच वेनेजुएला में लोकतांत्रिक परिवर्तन के मुद्दे पर मजबूत तालमेल है।
नोबेल समिति का निर्णायक कदम
मारिया कोरिना मचाडो का चयन उस समय हुआ है जब वेनेजुएला में लोकतंत्र को बचाने का संघर्ष एक निर्णायक मोड़ पर है। पिछले साल के चुनावों में, मादुरो सरकार ने मचाडो को चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित कर दिया था, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने विपक्ष के उम्मीदवार एडमंडो गोंजालेज उरुटिया का समर्थन किया और लाखों स्वयंसेवकों को संगठित किया ताकि चुनावी पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके। हालांकि, सरकार ने परिणामों को मानने से इनकार कर दिया, जिसके बाद मचाडो को सुरक्षा कारणों से छिपकर रहना पड़ा।
नोबेल कमेटी ने अपने फैसले के जरिए दुनिया को यह संदेश दिया है कि तानाशाही के सामने भी अहिंसक संघर्ष और दृढ़ संकल्प से लोकतंत्र की मशाल जलाई जा सकती है। मचाडो को 1.1 करोड़ स्वीडिश क्राउन (लगभग 8 करोड़ रुपये) का नकद पुरस्कार और अल्फ्रेड नोबेल की तस्वीर वाला एक स्वर्ण पदक भी मिलेगा। इस पुरस्कार ने वेनेजुएला के लाखों लोगों के लिए उम्मीद की एक नई किरण जगाई है।
लेटेस्ट हिंदी समाचार अपडेट के लिए Facebook पर लाइव भारत टाइम्स के पेज को फॉलो करें।
