
- प्रतिकृति का निर्माण: हैदराबाद में एक धार्मिक/राजनीतिक समूह द्वारा अयोध्या की बाबरी मस्जिद की प्रतिकृति बनाई गई है, जिसका उद्देश्य इस ऐतिहासिक विवाद को भावनात्मक स्तर पर जीवित रखना है।
- ओवैसी का समर्थन: AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस प्रतिकृति के निर्माण को ऐतिहासिक याद और समुदाय की भावनाओं का प्रतीक बताते हुए समर्थन किया है।
- बंगाल का जुड़ाव: बाबरी मस्जिद रेप्लिका विवाद में पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के एक TMC विधायक की टिप्पणी शामिल है, जो संवेदनशील क्षेत्र में अल्पसंख्यक मतदाताओं को संदेश देने की कोशिश के तौर पर देखी जा रही है।
नई दिल्ली/हैदराबाद, 8 दिसंबर: हैदराबाद में बाबरी मस्जिद की एक प्रतिकृति (Replica) बनाए जाने को लेकर देश की राजनीति में एक नया और संवेदनशील विवाद खड़ा हो गया है। बाबरी विध्वंस की बरसी (6 दिसंबर) के ठीक बाद सामने आई इस प्रतिकृति के निर्माण को राजनीतिक रूप से एक शक्तिशाली संकेत के तौर पर देखा जा रहा है। इस मामले में AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद से तृणमूल कांग्रेस (TMC) के एक विधायक की टिप्पणियाँ भी शामिल हैं, जिसने राजनीतिक पारे को और बढ़ा दिया है।
यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब राम मंदिर निर्माण का कार्य तेजी से चल रहा है और कुछ ही महीनों में पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं।
ओवैसी का बयान: भावना और राजनीति
हैदराबाद, जो असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM का गढ़ है, में इस तरह की प्रतिकृति का निर्माण सीधे तौर पर राजनीतिक संदेश देता है। ओवैसी ने कथित तौर पर इस कदम का समर्थन करते हुए कहा है कि यह प्रतिकृति एक ऐतिहासिक अन्याय की याद दिलाती है और यह समुदाय के भीतर न्याय की निरंतर मांग को दर्शाती है।
उनके इस बयान को आगामी चुनावों से पहले अल्पसंख्यक मतदाताओं को एकजुट करने और AIMIM के प्रभाव को राष्ट्रीय स्तर पर बनाए रखने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। ओवैसी ने पहले भी अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निराशा व्यक्त की थी, और यह प्रतिकृति उस राजनीतिक रुख को मजबूत करती है।
मुर्शिदाबाद कनेक्शन: TMC की चुनौती
इस विवाद में पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद से TMC के एक विधायक का कूदना राजनीतिक रूप से विशेष महत्व रखता है। मुर्शिदाबाद एक मुस्लिम-बहुल जिला है जो बंगाल की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विधायक ने कथित तौर पर प्रतिकृति निर्माण का समर्थन किया है, या फिर इस मुद्दे को उठाते हुए भाजपा पर सांप्रदायिक राजनीति करने का आरोप लगाया है।
पश्चिम बंगाल में टीएमसी और भाजपा के बीच चल रहे कड़े वैचारिक संघर्ष के बीच, TMC विधायक का यह बयान अल्पसंख्यक मतदाताओं के बीच पार्टी की पकड़ मजबूत करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। भाजपा पहले ही टीएमसी पर तुष्टीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाती रही है, और इस मुद्दे के सामने आने से भाजपा को ममता बनर्जी सरकार पर हमलावर होने का एक और मौका मिल गया है।
भाजपा का संभावित पलटवार
हालांकि प्रतिकृति हैदराबाद में बनी है, लेकिन भाजपा ने इस कदम और इसे समर्थन देने वाले नेताओं की तीखी आलोचना की है। भाजपा नेताओं ने इसे शांति भंग करने और सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भड़काने की कोशिश बताया है।
भाजपा इस मुद्दे का उपयोग अपनी राम मंदिर और राष्ट्रवादी पहचान की राजनीति को और मजबूत करने के लिए करेगी। उनका तर्क है कि जब अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो रहा है, तब इस तरह की प्रतिकृति का निर्माण जानबूझकर माहौल खराब करने का प्रयास है। इस बाबरी मस्जिद रेप्लिका विवाद से दोनों राजनीतिक धुरों के बीच ध्रुवीकरण और बढ़ सकता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह के संवेदनशील मुद्दे बंगाल चुनाव से पहले हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों की पहचान की राजनीति को उभारने का काम करेंगे। प्रशासन से अपील की गई है कि वह शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए कड़ी निगरानी रखे और किसी भी तरह के भड़काऊ बयानों को रोके।
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