
- चुनावी स्टंट का आरोप: कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि वंदे मातरम पर संसद में बहस देश की समस्याओं को छिपाने और पश्चिम बंगाल चुनावों से पहले राजनीतिक ध्रुवीकरण करने का एक ओछा प्रयास है।
- सत्य का विकृतिकरण: प्रियंका गांधी वंदे मातरम के मुद्दे पर बोलते हुए उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री मोदी स्वतंत्रता संग्राम के नायकों और इतिहास को केवल अपनी राजनीतिक सुविधा के लिए विकृत कर रहे हैं।
- नेहरू का बचाव: उन्होंने PM मोदी द्वारा जवाहरलाल नेहरू पर तुष्टीकरण के लिए राष्ट्रीय गीत के कुछ अंशों को हटाने के आरोप को सिरे से खारिज किया और नेहरू के महान योगदान को याद किया।
नई दिल्ली, 9 दिसंबर: संसद में ‘वंदे मातरम’ की 150वीं वर्षगांठ पर चल रही विशेष चर्चा अब भारतीय इतिहास और राष्ट्रवाद की सियासत में बदल चुकी है। इस बहस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कांग्रेस और देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर ऐतिहासिक हमले के जवाब में, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने सोमवार को तीखा पलटवार किया। प्रियंका गांधी ने मोदी सरकार पर ‘वंदे मातरम’ को महज एक चुनावी औजार बनाकर राष्ट्रीय गीत और स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान को राजनीतिक रंग देने का गंभीर आरोप लगाया है।
यह सीधा हमला इस बात को दर्शाता है कि कांग्रेस पार्टी अब इतिहास के मुद्दों पर भाजपा के आक्रामक रुख का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
राजनीतिकरण और ध्यान भटकाने की चाल
प्रियंका गांधी ने अपने बयान में इस बात पर जोर दिया कि ‘वंदे मातरम’ किसी एक राजनीतिक दल की जागीर नहीं है, बल्कि यह देश के हर नागरिक की धरोहर है। उन्होंने कहा, “वंदे मातरम पर बहस तब हो रही है जब देश रिकॉर्ड तोड़ बेरोजगारी, भयावह महंगाई और विमानन क्षेत्र (इंडिगो संकट) में भयानक अफरा-तफरी से जूझ रहा है।”
उनका आरोप है कि सरकार जानबूझकर ऐसे भावनात्मक मुद्दों को उठा रही है, ताकि जनता का ध्यान उनकी प्रशासनिक विफलताओं और आर्थिक कुप्रबंधन से हट जाए। उन्होंने कहा, “राष्ट्रीय गीतों का सम्मान संसद में राजनीति करने से नहीं, बल्कि देश के प्रति सच्चे समर्पण और ईमानदारी से होता है।”
पीएम मोदी के आरोपों का जवाब
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरोप लगाया था कि 1937 में मुस्लिम लीग के दबाव में कांग्रेस ने ‘वंदे मातरम’ के कुछ अंश हटा दिए थे, जिससे तुष्टीकरण की राजनीति की शुरुआत हुई और अंततः देश का विभाजन हुआ।
प्रियंका गांधी ने इस ऐतिहासिक संदर्भ को सिरे से नकारते हुए कहा कि नेहरू और उनके समकालीन नेताओं ने अपनी पूरी जवानी देश के लिए बलिदान कर दी, जबकि बीजेपी के ‘राजनीतिक पूर्वज’ आजादी की लड़ाई से दूर रहे। उन्होंने कहा, “जो लोग आज इतिहास के सबसे बड़े बलिदानियों पर उंगली उठा रहे हैं, उनका स्वतंत्रता संग्राम में कोई योगदान नहीं है। उन्हें नेहरू जी के बारे में बोलने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।”
कांग्रेस महासचिव ने कहा कि राष्ट्रीय गीत को लेकर इतिहास की किताबों को खोलकर सिर्फ चुनावी फायदा ढूंढना देश की लोकतांत्रिक और समावेशी भावना का अपमान है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय गीत का सम्मान केवल मुख से नहीं, बल्कि देश की मिट्टी और लोगों के प्रति सम्मान दिखाने से होता है।
विपक्ष एकजुट होकर देगा जवाब
प्रियंका गांधी के इस आक्रामक रुख को कांग्रेस पार्टी की उस व्यापक रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है जिसके तहत वह इतिहास और राष्ट्रवाद पर भाजपा के हमलों का मुखर होकर जवाब देगी। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में गौरव गोगोई ने भी यही बात दोहराई कि यह बहस पश्चिम बंगाल चुनाव में ध्रुवीकरण की कोशिश है, जहां बंकिम चंद्र चटर्जी (वंदे मातरम के रचयिता) की विरासत और बंगाली अस्मिता का मुद्दा संवेदनशील है।
यह राजनीतिक वाकयुद्ध स्पष्ट रूप से दिखाता है कि आगामी चुनावों से पहले देश में वैचारिक लड़ाई और तेज होगी, जिसमें इतिहास, राष्ट्रवाद और तुष्टीकरण जैसे मुद्दे प्रमुख हथियार होंगे।
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