
- गवर्नेंस लैप्स पर चिंता: ICSI ने इंडिगो संकट को गवर्नेंस लैप्स का उदाहरण मानते हुए, पूरे भारतीय कॉर्पोरेट जगत में कॉर्पोरेट गवर्नेंस को सशक्त करने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया।
- बोर्ड की जवाबदेही: ICSI ने बोर्ड स्तर पर गहरी जवाबदेही, प्रभावी जोखिम प्रबंधन और हितधारक निगरानी की महत्ता पर जोर दिया, ताकि भविष्य में इस तरह के संकटों को टाला जा सके।
- कंपनी सचिवों की भूमिका: कॉर्पोरेट गवर्नेंस आईसीएसआई अध्यक्ष ने दोहराया कि कंपनी सचिवों की भूमिका नैतिक, जवाबदेह और टिकाऊ कॉर्पोरेट आचरण सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण है।
नई दिल्ली, 10 दिसंबर: इंडिगो एयरलाइन में हाल ही में हुए बड़े परिचालन संकट और इसके परिणामस्वरूप सरकार के सख्त रुख के बाद, इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया (ICSI) ने देश के पूरे कॉर्पोरेट जगत में कॉर्पोरेट गवर्नेंस (Corporate Governance) प्रथाओं को तुरंत मजबूत करने का आह्वान किया है। ICSI ने स्पष्ट किया है कि इंडिगो जैसी घटनाएँ कंपनियों के बोर्ड स्तर पर गवर्नेंस लैप्स (Governance Lapse) को उजागर करती हैं, जिसके लिए गहरी जवाबदेही की आवश्यकता है।
ICSI ने जोर देकर कहा है कि मजबूत गवर्नेंस केवल अनुपालन के लिए ही नहीं, बल्कि संकट के समय तैयारी, जवाबदेही और प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए भी मौलिक है।
बोर्ड स्तर पर गहरी जवाबदेही की आवश्यकता
ICSI ने अपने बयान में कहा है कि इंडिगो में जो कुछ भी हुआ, वह कंपनी के संचालन की विफलता (Operational Failure) से कहीं अधिक है; यह एक गवर्नेंस विफलता है। जब एक कंपनी की मुख्य परिचालन व्यवस्था चरमरा जाती है, तो इसकी जवाबदेही शीर्ष पर बैठे लोगों यानी बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की होती है।
ICSI ने कंपनियों से आग्रह किया है कि वे अपने बोर्ड प्रक्रियाओं को सभी हितधारकों (Shareholders, Customers, Employees, Regulators) के हितों के अनुरूप व्यवस्थित करें। इसका उद्देश्य केवल कानूनी आवश्यकताओं को पूरा करना नहीं, बल्कि सक्रिय जोखिम पहचान (Proactive Risk Identification), समय पर हस्तक्षेप (Timely Intervention) और पारदर्शी संचार (Transparent Communication) को संभव बनाना है।
हितधारक मूल्य और लोक विश्वास का संरक्षण
ICSI के अध्यक्ष CS धनंजय शुक्ला ने कहा, “यह घटना कॉर्पोरेट्स और पेशेवरों के लिए एक याद दिलाती है कि उन्हें एक ऐसे सुदृढ़ शासन ढांचे को सुनिश्चित करने की आवश्यकता है जो शेयरधारक मूल्य के निर्माण और संरक्षण के साथ-साथ लोक विश्वास (Public Trust) को भी बनाए रखे।”
उनका यह बयान दर्शाता है कि किसी भी कंपनी के लिए केवल लाभ कमाना पर्याप्त नहीं है, बल्कि संकट के समय उसकी प्रतिक्रिया यह निर्धारित करती है कि जनता और निवेशक उस पर कितना भरोसा करते हैं। इंडिगो संकट ने दिखाया कि खराब कॉर्पोरेट गवर्नेंस कैसे तुरंत सार्वजनिक विश्वास और शेयरधारक मूल्य को नष्ट कर सकता है।
निरंतर जिम्मेदारी है कॉर्पोरेट गवर्नेंस
ICSI के सचिव CS आशीष मोहन ने अच्छे शासन को बढ़ावा देने में ICSI की प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए कहा कि, “कॉर्पोरेट्स को हितधारक संरक्षण और दीर्घकालिक स्थिरता के हित में अपनी संरचनाओं और प्रक्रियाओं पर पुनर्विचार करना चाहिए, क्योंकि कॉर्पोरेट गवर्नेंस एक निरंतर जिम्मेदारी है।”
ICSI के इस आह्वान का स्पष्ट अर्थ है कि कंपनियों को केवल औपचारिकता के लिए नहीं, बल्कि ईमानदारी और नैतिकता के साथ बोर्ड निरीक्षण, जोखिम प्रबंधन समितियों और अनुपालन प्रणालियों को मजबूत करना होगा। कंपनी सचिवों को, जो बोर्ड और प्रबंधन के बीच की महत्वपूर्ण कड़ी हैं, को नैतिक और जिम्मेदार कॉर्पोरेट आचरण सुनिश्चित करने के लिए अपनी भूमिका को और मजबूत करना होगा।
यह बयान भारत इंक. के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है कि सरकार और नियामक अब कॉर्पोरेट गवर्नेंस लैप्स पर आंखें नहीं मूंदेंगे और भविष्य में सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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