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बैंक ऑफ बड़ौदा ने MCLR में 5 बेसिस प्वाइंट की कटौती

ओवरनाइट और 3 महीने के लोन हुए सस्ते; 12 दिसंबर 2025 से लागू होंगी नई दरें

  • MCLR में कटौती: बैंक ऑफ बड़ौदा ने ओवरनाइट और तीन महीने की अवधि के MCLR में 5 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है।
  • नई दरें प्रभावी: ये संशोधित ब्याज दरें 12 दिसंबर 2025 से लागू होंगी।
  • होम लोन पर असर: लंबी अवधि के लोन, जैसे होम लोन, के बेंचमार्क रेट (एक वर्षीय MCLR) में कोई बदलाव नहीं किया गया है, इसलिए मौजूदा होम लोन की EMI पर तत्काल कोई असर नहीं पड़ेगा।

नई दिल्ली, 11 दिसंबर: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा रेपो रेट में कटौती किए जाने के बाद, अब देश के बड़े सरकारी बैंकों में से एक बैंक ऑफ बड़ौदा (Bank of Baroda – BoB) ने अपने ग्राहकों को बड़ी राहत दी है। बैंक ऑफ बड़ौदा ने विभिन्न अवधियों के लिए अपनी मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) में 5 बेसिस प्वाइंट (bps) तक की कटौती की घोषणा की है। यह कटौती 12 दिसंबर 2025 से प्रभावी होगी।

इस फैसले का सीधा फायदा उन ग्राहकों को मिलेगा जिन्होंने बैंक ऑफ बड़ौदा से MCLR से जुड़े फ्लोटिंग रेट लोन ले रखे हैं, खासकर शॉर्ट-टर्म (कम अवधि) के लोन जैसे वर्किंग कैपिटल लोन (Working Capital Loan) और ओवरड्राफ्ट।

किन अवधियों के लिए MCLR में हुई कटौती?

बैंक ऑफ बड़ौदा ने नियामक फाइलिंग में बताया कि उसने चुनिंदा अवधियों के लिए MCLR में संशोधन किया है, जबकि लंबी अवधि की दरें अपरिवर्तित रखी गई हैं।

ग्राहकों पर क्या पड़ेगा असर?

बैंक ऑफ बड़ौदा MCLR में कटौती का असर उन ग्राहकों पर पड़ता है, जिनके लोन इसी दर से जुड़े हुए हैं:

शॉर्ट-टर्म लोन लेने वालों को फायदा: ओवरनाइट और 3 महीने की MCLR में कटौती से उन व्यवसायों और व्यक्तियों को तुरंत राहत मिलेगी जिन्होंने शॉर्ट-टर्म बिज़नेस लोन, वर्किंग कैपिटल लोन या ओवरड्राफ्ट सुविधाएँ ले रखी हैं। उनकी ब्याज लागत कम हो जाएगी।

नए लोन पर असर: जो ग्राहक अब बैंक ऑफ बड़ौदा से MCLR से जुड़े लोन लेंगे, उन्हें नई, कम दरें मिलेंगी।

होम लोन और कार लोन पर सीमित असर:

MCLR से जुड़े पुराने लोन: अधिकांश खुदरा ऋण (Retail Loans) जैसे होम लोन और कार लोन की ब्याज दरें एक वर्षीय MCLR से जुड़ी होती हैं। चूंकि एक साल की MCLR में कोई बदलाव नहीं हुआ है, इसलिए वर्तमान में इन लोन की EMI पर तत्काल कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

रीसेट पीरियड: अगर भविष्य में एक वर्षीय MCLR में कटौती होती भी है, तो होम लोन की EMI तभी कम होगी जब उनका रीसेट पीरियड (आमतौर पर 6 महीने या 1 साल) पूरा होगा।

EBLR से जुड़े नए लोन: यह ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि अक्टूबर 2019 से RBI के निर्देशानुसार, अधिकांश नए खुदरा लोन एक्सटर्नल बेंचमार्क लिंक्ड लेंडिंग रेट (EBLR), जैसे रेपो रेट से जुड़े होते हैं।

EBLR/BRLLR में पहले ही हो चुकी है कटौती

MCLR में कटौती के अलावा, बैंक ऑफ बड़ौदा पहले ही RBI की रेपो रेट कटौती का लाभ ग्राहकों को दे चुका है। बैंक ने अपनी बड़ौदा रेपो लिंक्ड लेंडिंग रेट (BRLLR) को 25 बेसिस प्वाइंट (bps) घटाकर 8.15% से 7.90% कर दिया था। यह कटौती 6 दिसंबर 2025 से लागू हुई थी।

चूंकि वर्तमान में अधिकांश होम लोन और कार लोन सीधे BRLLR से जुड़े हुए हैं, इसलिए रेपो रेट में कटौती का तत्काल और सीधा फायदा उन ग्राहकों को मिला है जिनके लोन BRLLR से जुड़े हैं।

क्या है MCLR?

MCLR (Marginal Cost of Funds Based Lending Rate) वह न्यूनतम ब्याज दर है जिस पर बैंक ग्राहकों को लोन दे सकता है। इसे भारतीय रिजर्व बैंक ने अप्रैल 2016 में लागू किया था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जब केंद्रीय बैंक रेपो रेट में कटौती करे तो उसका लाभ ग्राहकों तक तेजी से पहुंचे। MCLR की गणना बैंक की फंड जुटाने की सीमांत लागत, कैश रिजर्व रेशियो (CRR) की लागत और ऑपरेटिंग कॉस्ट जैसे कारकों पर आधारित होती है।

बैंकों को मासिक आधार पर अपनी MCLR दरों की समीक्षा करना अनिवार्य होता है। बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा यह नवीनतम कटौती बाजार में तरलता (Liquidity) की स्थिति और आरबीआई की नीतिगत दरों के अनुरूप है, जिससे यह उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले दिनों में कुछ अन्य बैंक भी अपनी MCLR दरों में संशोधन कर सकते हैं।

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