
गर्मी बढ़ने के साथ ही इस मौसम में सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाले सूती कपड़े भी 30 फीसदी तक महंगे हो गए हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह अंतरराष्ट्रीय और घरेलू बाजार में कपास की कीमतों में बढ़ोतरी है। खास बात यह है कि कीमतों में बढ़ोतरी के बीच मांग में भी करीब 20 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। स्थिति यह है कि शत-प्रतिशत क्षमता पर काम करने के बावजूद भीलवाड़ा की सूत मिलें मांग को पूरा नहीं कर पा रही हैं।
कोविड महामारी के बाद और ऑर्डर मिल रहे हैं
कारोबारियों के मुताबिक कोविड महामारी के बाद 18 देशों से सूती धागे और कपड़ों के ज्यादा ऑर्डर आ रहे हैं। इसमें यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अमेरिका शामिल हैं। भीलवाड़ा से इन देशों को लगभग 2.5 लाख टन सूती धागे का निर्यात किया जाता है, जो कुल उत्पादन का 65% है। वहीं इस साल देश में कपास के उत्पादन में 10 फीसदी की कमी आई है।
इस तरह साल दर साल बढ़ रहे हैं कपड़ों के दाम
फैब्रिक/यार्न फरवरी-20 फरवरी-21 फरवरी-22
पॉलिएस्टर विस्कोस 45-90 55-100 115-150
बनावट राज 45-90 55-100 70-110
कपास 135-145 160-175 160-250
डेनिम 180-240 210-270 210-280
(कीमत रुपये प्रति मीटर में)
कपास का उत्पादन कम रहने की उम्मीद
कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया का अनुमान है कि इस साल देश में कुल उत्पादन 315 लाख गांठ होगा, जबकि उत्पादन 350 लाख गांठ रहेगा। एक बेल में 170 किलो कपास होता है। इसके अलावा ब्राजील, चीन और अर्जेंटीना में भी कपास का उत्पादन घटा है। ऐसे में कपास 15-30% महंगा हो गया है और सूती कपड़ों की कीमत 25-30% बढ़ गई है।
साढ़े तीन महीने में कपास के दाम 30% बढ़े
जनवरी से अप्रैल के पहले पखवाड़े तक देश में कपास की कीमतों में 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। ओरिगो ई-मंडी के सहायक महाप्रबंधक तरुण तत्त्संगी ने कहा, “कपास 45,000 रुपये के हमारे लक्ष्य के करीब है। यह 48,000 रुपये तक जा सकता है।
