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महिला कारीगरों में डिजिटल उद्यमिता पर बड़ा शोध

महिला कारीगरों में डिजिटल उद्यमिता पर बड़ा शोध
  • उच्च उपाधि: मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज (MRIIRS), फरीदाबाद ने शोधार्थी उमा अनुराग को Ph.D. की उपाधि से सम्मानित किया।
  • शोध का केंद्र: उनका शोध महिला कारीगर डिजिटल उद्यमिता को सशक्त बनाने और डिजिटल प्लेटफॉर्म अपनाने की भूमिका पर केंद्रित है, जिसका उद्देश्य हस्तशिल्प क्षेत्र का समावेशी विकास करना है।
  • नया मॉडल: इस शोध के दौरान एक रूपांतरणकारी ढाँचा eSWADESHI – Holding Hands, Crafting Future™ मॉडल विकसित किया गया है, जिसे क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण रणनीतिक योगदान माना जा रहा है।

समग्र समाचार सेवा
फरीदाबाद, 5 दिसंबर: मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज (MRIIRS) ने अपनी कॉमर्स स्कूल (SOC) की शोधार्थी उमा अनुराग को सफलतापूर्वक डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (Ph.D.) की उपाधि प्रदान की है। उमा अनुराग ने सभी शैक्षणिक एवं शोध मानकों को पूरा करते हुए यह प्रतिष्ठित डिग्री हासिल की। उनका शोध प्रबंध भारत के महिला कारीगरों को सशक्त बनाने और देश के हस्तशिल्प क्षेत्र में समावेशी एवं सतत विकास को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है।

डिजिटल प्लेटफॉर्म अपनाने का विस्तृत विश्लेषण

डॉ. उमा अनुराग ने अपना गहन शोध कार्य कॉमर्स स्कूल की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सिमरन कौर के मार्गदर्शन में पूर्ण किया। उनके शोध प्रबंध का शीर्षक “महिला कारीगरों की उद्यमिता हेतु डिजिटल प्लेटफॉर्म अपनाने पर एक विश्लेषणात्मक अध्ययन” है।

यह अध्ययन इस बात पर केंद्रित है कि डिजिटल माध्यम और समग्र डिजिटल ईकोसिस्टम किस प्रकार महिला कारीगरों की उद्यमी क्षमता को सशक्त बना सकते हैं। शोध में विस्तार से विश्लेषण किया गया है कि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, सोशल मीडिया मार्केटिंग, ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम और डिजिटल ब्रांडिंग जैसे उपकरण ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों की महिलाओं के लिए नए आर्थिक अवसर कैसे पैदा कर सकते हैं। यह अध्ययन विशेष रूप से उन चुनौतियों और अवसरों पर प्रकाश डालता है जिनका सामना महिला कारीगर पारंपरिक बाजार से डिजिटल बाजार की ओर बढ़ते समय करती हैं।

eSWADESHI मॉडल: बाजार की पहुँच में क्रांति

इस शोध की सबसे उल्लेखनीय उपलब्धि eSWADESHI – Holding Hands, Crafting Future™ मॉडल का विकास है। यह मॉडल एक व्यापक फ्रेमवर्क प्रदान करता है जो महिला कारीगर डिजिटल उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण, तकनीकी सहायता और बाजार से जोड़ने की रणनीतियों को एकीकृत करता है।

डॉ. अनुराग के शोध में उजागर किया गया है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म को अपनाकर, कारीगर महिलाएं न केवल अपनी कलाकृतियों के लिए बेहतर मूल्य प्राप्त कर सकती हैं, बल्कि बिचौलियों की भागीदारी को कम करके अपनी आय में भी वृद्धि कर सकती हैं। यह मॉडल हस्तशिल्प क्षेत्र में स्थायी और समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिए कई महत्वपूर्ण रणनीतिक सुझाव प्रस्तुत करता है, जिससे ये कलाएँ विलुप्त होने के बजाय वैश्विक पहचान हासिल कर सकें। MRIIRS प्रशासन ने कहा है कि यह शोध सरकारी योजनाओं और विकास कार्यक्रमों में भी अत्यंत उपयोगी साबित हो सकता है, विशेषकर डिजिटल इंडिया अभियान और महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के राष्ट्रीय प्रयासों के संदर्भ में।

भारत की नारी शक्ति को समर्पित उपलब्धि

अपनी Ph.D. को भारत की महिला कारीगरों को समर्पित करते हुए, डॉ. उमा अनुराग ने कहा कि यह समर्पण देश की कारीगर महिलाओं की अद्वितीय रचनात्मकता, दृढ़ता और अमूल्य सांस्कृतिक योगदान के प्रति उनके गहरे सम्मान को दर्शाता है। उनका मानना है कि यह पहल महिला उद्यमिता को डिजिटल युग में नई पहचान देने का मार्ग प्रशस्त करेगी, जिससे वे अपने कला कौशल के माध्यम से आर्थिक रूप से मजबूत बन सकेंगी।

यह शोध स्पष्ट करता है कि शिक्षा और प्रौद्योगिकी का समन्वय किस प्रकार सामाजिक परिवर्तन का वाहक बन सकता है, जिससे हाशिए पर मौजूद समूहों को सशक्तिकरण और वैश्विक मंच पर पहचान मिल सके। यह अध्ययन महिला कारीगर डिजिटल उद्यमिता के भविष्य के लिए एक उज्ज्वल और व्यावहारिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।

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