

इस्लामाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने शुक्रवार को खुफिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि इमरान खान पर ‘एक और जानलेवा हमले की संभावना’ है। यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह पूर्व प्रधानमंत्री पर मंडराते खतरे का संज्ञान ले।
जस्टिस फारूक ने कहा कि पीटीआई को जल्द आम चुनाव की मांग करते हुए अपने लॉन्ग मार्च की अनुमति के लइए इस्लामाबाद प्रशासन को एक नई अर्जी देनी चाहिए। उन्होंने कहा, अगर मामला नहीं सुलझता है तो नई याचिका भी दायर की जा सकती है। चीफ जस्टिस ने कहा कि धरने के लिए जगह आवंटित करना अदालत की जिम्मेदारी नहीं है।
उन्होंने आगे कहा, यह प्रशासन का विवेक है कि वे-डी चौक या एफ-9 पार्क के लिए अनुमति देना चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी यही आदेश दिया था। इससे पहले गुरुवार पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने लॉन्ग मार्च को रोकने की याचिका को खारिज किया और कहा कि यह एक राजनीतिक मुद्दा है और इसे राजनीतिक रूप से ही हल किया जाना चाहिए।
चीफ जस्टिस फारूक ने कहा, विरोध हर राजनीतिक और गैर राजनीतिक दल का लोकतांत्रिक अधिकार है, लेकिन आम नागरिकों के अधिकारों को बरकरार रखा जाना भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन में भी लोग 10 डाउनिंग स्ट्रीट पर इकट्ठा होते हैं। वे विरोध करते हैं लेकिन सड़कों को जाम नहीं करते।
जस्टिस फारूक ने पीटीआई के वकील से कहा, जब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वे लॉन्ग मार्च को नहीं रोक सकते, तो आपने जीटी रोड और अन्य मोटरमार्गों को अवरुद्ध कर दिया। सुनवाई 22 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी गई। बीते 3 नवंबर वजीराबाद शहर में सत्तर वर्षीय खान पर लॉन्ग मार्च के दौरान हमला किया गया था। इस हमले में वे बाल-बाल बचे थे।
