

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपनी लोकसभा सदस्यता खोने के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा कि वह भारत की आवाज के लिए लड़ रहे हैं और इसके लिए वह कोई भी कीमत चुकाने को तैयार हैं। एक ट्वीट में उन्हों ने कहा, “मैं भारत की आवाज के लिए लड़ रहा हूं। मैं कोई भी कीमत चुकाने को तैयार हूं।”
राहुल गांधी को 2019 के आपराधिक मानहानि मामले में सूरत की एक अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के एक दिन बाद लोकसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया।
राहुल गांधी की सदस्यता जाने पर भड़की प्रियंका गांधी
राहुल गांधी की सदस्यता जाने पर कड़ी आपत्ति जताते हुए, प्रियंका गांधी गांधी वाड्रा ने सवाल किया कि संसद ने पीएम के ‘पूरे परिवार और कश्मीरी पंडित समुदाय का अपमान’ करने का संज्ञान क्यों नहीं लिया, जब नरेंद्र मोदी ने सदन में पूछा था कि ‘वे (गांधी) क्यों नेहरू नाम नहीं रखते।’
प्रियंका गांधी ने कहा, “आपके चमचों ने एक शहीद प्रधान मंत्री के बेटे को देशद्रोही कहा, मीर जाफर कहा। आपके एक मुख्यमंत्री ने सवाल उठाया कि राहुल गांधी का पिता कौन है? कश्मीरी पंडितों के रिवाज के मुताबिक, एक बेटा अपने पिता की मृत्यु के बाद पगड़ी पहनता है। अपने परिवार की परंपरा को कायम रखते हुए आपने पूरे परिवार और कश्मीरी पंडित समुदाय का अपमान करते हुए पूछा कि भरी संसद में नेहरू का नाम क्यों नहीं रखते। लेकिन किसी जज ने आपको दो साल की सजा नहीं दी। आपको संसद से अयोग्य नहीं ठहराया…”
राहुल को दो साल की जेल
इससे पहले, सूरत सत्र अदालत ने राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई थी, हालांकि, उन्हें जमानत और फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए 30 दिन का समय दिया गया था।
लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है, “मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, सूरत की अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के परिणामस्वरूप, राहुल गांधी, केरल के वायनाड संसदीय निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले लोकसभा सदस्य, उनकी दोषसिद्धि की तारीख यानी 23 मार्च 2023 से लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य हैं।”
जबकि कांग्रेस ने लोकसभा में वायनाड निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले राहुल गांधी को अयोग्य घोषित करने के फैसले को राजनीतिक प्रतिशोध के रूप में बताया और ‘कानूनी और राजनीतिक रूप से’ लड़ाई लड़ने की कसम खाई, कांग्रेस नेता के पास उनके साथ सीमित विकल्प थे।
क्या है कानून
10 जुलाई, 2013 के अपने फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने लिली थॉमस बनाम भारत संघ मामले (लोक प्रहरी बनाम भारत संघ के साथ) का निपटारा करते हुए फैसला सुनाया कि कोई भी संसद सदस्य (सांसद), सदस्य विधान सभा (MLA) या विधान परिषद (MLC) का सदस्य, जिसे किसी अपराध का दोषी ठहराया जाता है और न्यूनतम दो वर्ष की कारावास की सजा दी जाती है, तत्काल प्रभाव से सदन की सदस्यता खो देता है।
