
- ट्रंप का सीधा आरोप: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर अमेरिकी चावल उत्पादकों को नुकसान पहुंचाने के लिए चावल की डंपिंग करने का आरोप लगाया है।
- संरक्षणवादी कदम: ट्रंप प्रशासन भारत के बढ़ते निर्यात को रोकने के लिए अपनी चावल नीति की समीक्षा कर रहा है, जिसके तहत आयात शुल्क बढ़ाने या एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाने जैसे कड़े कदम उठाए जा सकते हैं।
- व्यापार विवाद का डर: चावल डंपिंग व्यापार विवाद के कारण भारत के निर्यातकों को डर है कि यह कदम अन्य कृषि उत्पादों पर भी अमेरिकी प्रतिबंधों की शुरुआत कर सकता है।
नई दिल्ली/वाशिंगटन डीसी, 10 दिसंबर: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर अमेरिकी बाजारों में चावल की डंपिंग (Dumping) करने का गंभीर आरोप लगाया है। ट्रंप प्रशासन ने संकेत दिया है कि वह भारत के तेजी से बढ़ते चावल निर्यात को नियंत्रित करने के लिए अपनी चावल नीति में बड़े बदलाव पर विचार कर रहा है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव और गहरा सकता है। राष्ट्रपति ट्रंप का यह आरोप उनकी ‘अमेरिका फर्स्ट’ और संरक्षणवादी व्यापार नीति का एक और उदाहरण है।
राष्ट्रपति ट्रंप ने दावा किया है कि भारत सरकार किसानों को भारी सब्सिडी देती है, जिसके कारण भारतीय चावल अमेरिकी बाजार में उत्पादन लागत से भी कम कीमत पर बेचा जा रहा है। ट्रंप के इस रुख ने भारत के कृषि निर्यातकों के लिए चिंता बढ़ा दी है, खासकर तब, जब भारत का चावल निर्यात अंतरराष्ट्रीय बाजार में मजबूत पकड़ बना रहा है।
डंपिंग का मतलब और अमेरिकी चिंता
डंपिंग (Dumping) एक ऐसी व्यापारिक रणनीति है, जिसमें कोई देश अपने उत्पादों को किसी विदेशी बाजार में सामान्य मूल्य या उत्पादन लागत से भी कम कीमत पर बेचता है। इसका मुख्य उद्देश्य विदेशी बाजार पर कब्जा करना और स्थानीय उत्पादकों को प्रतिस्पर्धा से बाहर करना होता है।
राष्ट्रपति ट्रंप और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय (USTR) का मानना है कि भारतीय चावल के भारी मात्रा में और कम कीमत पर अमेरिका में आने से अमेरिकी किसानों और स्थानीय चावल मिलों को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है।
अमेरिका की नीति में संभावित बदलाव
ट्रंप प्रशासन अब भारत से आयात होने वाले चावल पर सख्त कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। इनमें निम्नलिखित कदम शामिल हो सकते हैं:
एंटी-डंपिंग शुल्क: अमेरिका भारत से आयातित चावल पर एंटी-डंपिंग शुल्क (Anti-dumping Duty) लगा सकता है। यह शुल्क भारतीय चावल की कीमत को अमेरिकी बाजार में कृत्रिम रूप से बढ़ा देगा, जिससे उसकी प्रतिस्पर्धात्मकता कम हो जाएगी।
आयात कोटा: अमेरिका भारतीय चावल के आयात पर मात्रात्मक प्रतिबंध (Import Quota) लगा सकता है, जिससे भारत एक निश्चित सीमा से अधिक निर्यात नहीं कर पाएगा।
WTO में शिकायत: अमेरिका इस मुद्दे को विश्व व्यापार संगठन (WTO) में भी उठा सकता है, यह आरोप लगाते हुए कि भारत अपनी कृषि नीतियों के माध्यम से नियमों का उल्लंघन कर रहा है।
भारत का खंडन: आरोप निराधार
भारत सरकार और चावल निर्यातकों ने राष्ट्रपति ट्रंप के चावल डंपिंग व्यापार विवाद के आरोप को पूरी तरह से निराधार बताया है।
सब्सिडी पर रुख: भारत का कहना है कि किसानों को दी जाने वाली कोई भी सब्सिडी डब्ल्यूटीओ के नियमों के तहत है और इसका उद्देश्य खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना है, न कि निर्यात बाजारों में डंपिंग करना।
कीमतों की प्रतिस्पर्धात्मकता: भारतीय निर्यातकों का तर्क है कि भारत में चावल की उत्पादन लागत अमेरिका की तुलना में स्वाभाविक रूप से कम है, जिसके कारण कीमतें प्रतिस्पर्धी हैं, न कि डंपिंग के कारण। यह भारतीय कृषि की दक्षता और विशाल उत्पादन क्षमता का परिणाम है।
भारत के चावल निर्यात बाजार पर असर
भारत दुनिया के सबसे बड़े चावल निर्यातकों में से एक है। विशेष रूप से गैर-बासमती चावल के बाजार में भारत की हिस्सेदारी बहुत बड़ी है। भारत अमेरिका सहित कई देशों में बड़ी मात्रा में चावल निर्यात करता है।
यदि अमेरिका एंटी-डंपिंग शुल्क लगाता है, तो भारत के लिए अमेरिकी बाजार में निर्यात करना बेहद महंगा हो जाएगा, जिससे निर्यातकों को बड़ा नुकसान हो सकता है। विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में और अधिक संरक्षणवादी लहर पैदा कर सकता है और भारत को retaliatory measures लेने के लिए मजबूर कर सकता है।
यह विवाद ऐसे समय में आया है जब दोनों देश व्यापार समझौतों पर बातचीत करने की कोशिश कर रहे हैं, और ट्रंप का यह रुख द्विपक्षीय व्यापार वार्ता को और जटिल बना सकता है।
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