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बाबरी मस्जिद विवाद पर ममता की टिप्पणी

ममता बनर्जी के बयान पर BJP का तीखा पलटवार, बाबरी मस्जिद की नींव रखने वाले नेता पर नई बहस

  • ममता बनर्जी ने दावा किया कि बाबरी मस्जिद की नींव हुमायूं कबीर ने रखी थी।
  • BJP ने आरोप लगाया—ममता ने तथ्यात्मक रूप से गलत बयान दिया।
  • नींव रखने वाले वास्तविक व्यक्ति को लेकर राजनीतिक बहस तेज।

नई दिल्ली, 8 दिसंबर: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के हालिया बयान ने राष्ट्रीय राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है। एक कार्यक्रम में उन्होंने दावा किया कि बाबरी मस्जिद की नींव हुमायूं कबीर ने रखी थी। इस बयान के सामने आते ही भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने उन पर तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करने का गंभीर आरोप लगाते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दी है।

BJP नेताओं का कहना है कि ममता बनर्जी का यह दावा न केवल ऐतिहासिक रूप से गलत है, बल्कि संवेदनशील मुद्दों पर गलत जानकारी फैलाने जैसा है। पार्टी प्रवक्ताओं ने कहा कि ममता बनर्जी अपने राजनीतिक एजेंडों के अनुरूप इतिहास को प्रस्तुत कर रही हैं, जिससे जनता भ्रमित हो सकती है।

BJP ने क्या कहा?

पार्टी के अनुसार, बाबरी मस्जिद की नींव 16वीं शताब्दी में मुगल शासक बाबर के आदेश पर रखी गई थी, और उसके निर्माण से जुड़े रिकॉर्ड इस बात की पुष्टि करते हैं कि हुमायूं कबीर का इससे कोई संबंध नहीं था। BJP ने तर्क दिया कि 20वीं सदी के नेता को 16वीं सदी की किसी घटना से जोड़ना इतिहास के साथ खिलवाड़ है।

एक वरिष्ठ BJP नेता ने कहा कि ममता बनर्जी जानबूझकर ऐसे बयान दे रही हैं जो लोगों को भटका सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री को ऐसे संवेदनशील विषयों पर बयान देने से पहले तथ्यों की गहन जांच करनी चाहिए, क्योंकि इस मुद्दे का इतिहास बहुत गहरा और महत्वपूर्ण है।

TMC की सफाई—बयान का गलत अर्थ निकाला गया

TMC की ओर से प्रतिक्रिया देते हुए कहा गया कि ममता बनर्जी ने केवल ऐतिहासिक चर्चाओं का हवाला दिया था और उनकी बात को जानबूझकर गलत तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है। पार्टी ने BJP पर राजनीतिक लाभ के लिए मुद्दे को हवा देने का आरोप लगाया।

TMC नेताओं ने कहा कि ममता बनर्जी का उद्देश्य किसी समुदाय को आहत करना नहीं था, बल्कि यह दिखाना था कि इतिहास को लेकर कई कथन और व्याख्याएँ समय-समय पर सामने आती रही हैं।

राजनीतिक हलकों में बढ़ी हलचल

इस बयान को लेकर राष्ट्रीय राजनीति में हलचल तेज हो गई है। बाबरी मस्जिद और राम मंदिर का मुद्दा पहले से ही अत्यंत संवेदनशील और भावनात्मक रहा है। ऐसे में किसी भी बयान का राजनीतिक असर व्यापक रूप से देखा जाता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले दिनों में इस विषय पर और भी बयानबाज़ी हो सकती है, खासकर चुनावी सीज़न निकट होने के कारण। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह विवाद आगे कैसे बढ़ता है और किस तरह राजनीतिक माहौल को प्रभावित करता है।

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